Saturday, December 27, 2025
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काशी में उत्तर-दक्षिण को जोड़ने वाली नई धर्मशाला, उपराष्ट्रपति बोले- ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना

उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णनननन ने कहा कि धर्म को कुछ समय के लिए संकट हो सकता है, लेकिन वह कभी स्थायी नहीं होता। आज धर्म की विजय हुई है, यह इमारत (धरमशाला) उसी की साक्षी है।
राधाकृष्णन ने कहा कि 25 वर्ष पूर्व जब मैं काशी आया था, तब मैं मांसाहारी था। गंगा स्नान के बाद जीवन में इतना परिवर्तन आया कि मैंने शाकाहार अपना लिया।
काशी एक बार फिर आस्था, संस्कृति और एकता के अद्भुत संगम की साक्षी बनी है।

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शुक्रवार को उपराष्ट्रपति सी पी राधाकृष्णन ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में श्री काशी नाटकोट्टाई संस्था के नए धर्मशाला भवन का उद्घाटन किया।
श्री काशी नाटकोट्टाई संस्था द्वारा 60 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित इस आधुनिक धर्मशाला भवन का लोकार्पण समारोह के संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, धर्म को कुछ समय के लिए संकट हो सकता है, लेकिन वह कभी स्थायी नहीं होता। आज धर्म की विजय हुई है, यह इमारत उसी की साक्षी है।’’

राधाकृष्णन ने कहा, 25 साल पहले की काशी और आज की काशी में जमीन-आसमान का अंतर है। यह परिवर्तन केवल दो कर्मयोगियों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कारण संभव हुआ है।
उन्होंने कहा कि जहां नाटकोट्टाई समूह सक्रिय होता है, वहां सेवा, धर्म और प्रगति साथ-साथ चलती है। यह भवन उसी भावना का प्रतीक है।
उन्होंने कहा कि यह धर्मशाला केवल एक इमारत नहीं, बल्कि उत्तर और दक्षिण भारत के सांस्कृतिक बंधन का नया अध्याय है।

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उन्होंने कहा कि तमिल और काशी के बीच सदियों से चले आ रहे रिश्तों को यह भवन और मजबूत करेगा। तमिल पंडित, कवि, भक्त ज्ञान की जिज्ञासा में काशी आते रहे। कंवर गुरु, महाकवि सुब्रमण्य भारती यहां बसे। काशी तमिल संगमम ने इसे और मजबूत किया। काशी की पवित्रता पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि 72 हजार मंदिर, कण-कण में शिव, हवा में गूंजता मंत्र ओम नमः शिवाय काशी की पहचान है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि 1863 में इस संस्था की स्थापना तमिलनाडु से काशी आने वाले भक्तों की सुविधा के लिए हुई थी और आज भी वही भावना जीवित है। 1942 के कर्फ्यू में भी शंभो प्रणाली नहीं रुकी। ये कम नहीं, अधिक देने वाले लोग हैं। नाटकोट्टाई समूह पराए के लिए जीता है। यह सिंगापुर, बर्मा, काशी जहां भी जाता है अपनी छाप छोड़ता है।
उन्होंने अन्नपूर्णा देवी की मूर्ति की वापसी और काशी-तमिल संगमम जैसे आयोजनों का उल्लेख करते हुए कहा, प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी के नेतृत्व में काशी का आध्यात्मिक पुनर्जागरण हो रहा है।

आज हर ओर ‘हर हर महादेव’ और ‘गंगा मैया की जय’ की गूंज सुनाई दे रही है।’’
उन्होंने कहा कि जो समाज केवल अपने लिए नहीं बल्कि दूसरों के लिए भी जीता है, वही सच्चे धर्म का पालन करता है। उन्होंने कहा कि धर्मशाला में 76 सोलर लैंप्स (1.5 करोड़) ग्रीन एनर्जी का प्रतीक, इससे सालाना 25 लाख रुपये की बचत होगी।
इससे पहले उपराष्ट्रपति सी पी राधाकृष्णन ने शुक्रवार को यहां श्री काशी नाटकोट्टई नगर क्षत्रम द्वारा निर्मित एक धर्मशाला का उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ मिलकर उद्घाटन किया।

उपराष्ट्रपति ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि 140 कमरों वाला 10 मंजिला क्षत्रम (धर्मशाला), सोसाइटी द्वारा वाराणसी में निर्मित दूसरी सुविधा है।
राधाकृष्णन ने लिखा, ‘‘आज वाराणसी की पवित्र भूमि पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ श्रीकाशी नाटकोट्टई नगर क्षत्रम मैनेजिंग सोसाइटी द्वारा निर्मित धर्मशाला का उद्घाटन करते हुए खुशी हो रही है।’

उपराष्ट्रपति ने कहा, इसका (इस धर्मशाला) मकसद आने वाले भक्तों की सेवा करना और युवा पीढ़ी को इस पवित्र शहर आने के लिए प्रोत्साहित करना है। यह पहल काशी और तमिलनाडु के बीच सदियों पुराने आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रिश्ते को दिखाती है, जो एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना में काशी-तमिल के गहरे जुड़ाव का प्रतीक है।’’
इससे पहले एक पोस्ट में, उपराष्ट्रपति ने कहा था, ‘‘आज वाराणसी की पवित्र धरती पर आकर और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अन्य गणमान्य लोगों द्वारा लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय हवाईअडडे पर गर्मजोशी से स्वागत किए जाने पर बहुत खुशी हुई।

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