हाल ही में अहमदाबाद के बावला रोड स्थित श्रीमती एन.एम.पाडलिया फार्मेसी कॉलेज में विश्व फार्मासिस्ट दिवस के अवसर पर “थिंक हेल्थ, थिंक फार्मासिस्ट” विषय पर एक सेमिनार का आयोजन कॉलेज के मेनेजिंग ट्रस्टी और कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री मगनभाई पटेल की अध्यक्षता में किया गया। इस कार्यक्रम में अहमदाबाद के धोलका तालुका के विधायक श्री किरीटसिंह डाभी, धोलका तालुका के पूर्व प्रमुख श्री महेंद्रसिंह मंडोरा और श्री दिग्विजयसिंह मसानी विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थे। कार्यक्रम का उद्घाटन उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों द्वारा दीप प्रज्वलित करके किया गया।
इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री मगनभाई पटेलने अपने भाषण में कहा कि एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार आज भारत में 16 लाख पंजीकृत फार्मासिस्ट हैं और प्रतिवर्ष लगभग 3 लाख फार्मासिस्ट,देश की विभिन्न फार्मेसी संस्थानों से पास होकर निकल रहे हैं तथा अपने ज्ञान और कौशल का उपयोग कर राष्ट्र के स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं, जबकि विश्वभर में 40 लाख से अधिक फार्मासिस्ट हैं और उनमें से 78% फार्मेसी तकनीशियन महिलाएं हैं। कोका-कोला के संस्थापक जॉन पेम्बर्टन,पेप्सी और जिंजर एले के आविष्कारक भी एक फार्मासिस्ट थे। फार्मासिस्ट आज विश्व और भारत में तीसरे सबसे बड़े स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर समूह का प्रतिनिधित्व करते हैं। विश्व फार्मासिस्ट दिवस की शुरुआत 2009 में तुर्की के इस्तांबुल में फार्मेसी और फार्मास्युटिकल साइंसेज की विश्व कांग्रेस में अंतर्राष्ट्रीय फार्मास्युटिकल फेडरेशन (FIP) परिषद द्वारा की गई थी। इस दिवस का मुख्य उद्देश्य फार्मासिस्टों के योगदान को उनके कार्यों के माध्यम से वैश्विक स्वास्थ्य सुधार में बढ़ावा देना है। इसलिए, उनकी निरंतर सेवाओं की सराहना करने और इस संबंध में डॉक्टरों के कार्य के महत्व को समझाने के लिए, वर्ष 2009 से विश्व फार्मासिस्ट दिवस मनाया जाता है। फार्मासिस्ट स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, डॉक्टर और मरीज़ के बीच एक सेतु का काम करते हैं। फार्मासिस्ट लोगों को बीमारियों से बचाव और डॉक्टर के पर्चे के अनुसार दवाओं के समय पर इस्तेमाल के बारे में मार्गदर्शन करते हैं। वे स्वास्थ्य जागरूकता अभियानों में महत्वपूर्ण भागीदार होते हैं। दवाओं का दुरुपयोग मरीज़ के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है, इसलिए वे मरीज़ों को डॉक्टर के पर्चे के अनुसार ही दवाएँ लेने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
मगनभाई पटेल ने आगे कहा कि देश के लगभग 140 करोड़ लोगों के स्वास्थ्य के प्रति सदैव सजग रहने वाले हमारे माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्रभाई मोदी साहब ने कहा है कि “फार्मा उद्योग के प्रयासों के कारण ही आज भारत को ‘विश्व फार्मेसी’ के रूप में जाना जाता है।” कोविड-19 महामारी के दौरान टीके, आवश्यक दवाएं और चिकित्सा आपूर्ति प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका के लिए भारत के दवा उद्योग को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर “विश्व की फार्मेसी” के रूप में मान्यता दी गई है। कोरोनाकाल में जब अस्पतालों और डॉक्टरों पर काफी दबाव था, तब उन्होंने कोरोना वॉरियर्स बनकर मरीजों तक समय पर दवाइयां, सैनिटाइजर और अन्य सर्जिकल उपकरण पहुंचाकर लाखों कोरोना मरीजों की जान बचाने में अहम भूमिका निभाई हैं। डॉक्टर निदान करता है और फार्मासिस्ट सुरक्षित दवाएं उपलब्ध कराता है, दोनों के सहयोग से मरीज को बेहतरीन परिणाम मिलते हैं।
हमारे जीवन में फार्मासिस्टों के महत्व के बारे में अधिक जानकारी देते हुए श्री मगनभाई पटेलने कहा कि फार्मासिस्ट आपकी स्वास्थ्य यात्रा में सच्चे साथी हैं। स्वास्थ्य क्षेत्र में फार्मासिस्टों की भागीदारी को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। फार्मेसी एक ऐसा पेशा है जो चिकित्सा विज्ञान के साथ-साथ वनस्पति विज्ञान और रसायन विज्ञान को भी जोड़ता है और परिणामस्वरूप, स्वास्थ्य सेवा प्रणाली पर इसका महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। यदि फार्मासिस्टों को दवाओं, उनके दुष्प्रभावों, गतिशीलता और विषाक्तता की पूरी समझ नहीं होती, तो दुनिया में विश्वसनीय, सुरक्षित दवाएं नहीं होतीं। विश्व फार्मासिस्ट दिवस का उद्देश्य दुनिया भर के लोगों को समाज में फार्मासिस्टों के महत्व को पहचानने के लिए प्रोत्साहित करना और वैश्विक स्वास्थ्य में उनके योगदान के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।
इस कार्यक्रम में शरीर के अंगों को मॉडल के रूप में प्रदर्शित किया गया था और उनके कार्यों को भी दर्शाया गया था, साथ ही साथ कॉलेज के विद्यार्थियों द्वारा इस दिन के महत्व को दर्शानेवाली विभिन्न चित्र प्रदर्शनी भी की गईं थी। जिसमें भरवाड निशाबेन, फहीम शेख, निसर्ग आचार्य, प्रजापति स्वाति, यादव रियाल, रूपारेल देवांशी, रीना विश्वकर्मा, सोमानी प्रियल ने “विश्व फार्मासिस्ट दिवस” से संबंधित विभिन्न पेंटिंग प्रदर्शित कीं। निशाबेन भरवाड़ की पेंटिंग में दो हाथों से पृथ्वी को पकड़े हुए दिखाया गया हैं,जो स्वास्थ्य की रक्षा का प्रतीक है। दवाइयाँ, सिरिंज, मास्क और गोलियाँ स्वास्थ्य सेवा का संदेश देती हैं। बीच में बना प्रतीक फार्मेसी और स्वास्थ्य विज्ञान का प्रतीक है, जहाँ फार्मासिस्ट लोगों की जान बचाने में अहम भूमिका निभाते हैं। यह चित्र दर्शाता है कि दवाइयाँ और ज्ञान दुनिया को स्वस्थ बनाते हैं। फार्मासिस्ट मानवता के प्रति सेवा और समर्पण के प्रतीक हैं। यह चित्र सभी को स्वास्थ्य को महत्व देने और फार्मासिस्टों के प्रति कृतज्ञ होने के लिए प्रेरित करता है। फहीम शेख द्वारा पेश किए चित्र में दिखाया गया है की फार्मासिस्ट वे पेशेवर होते हैं जो निदान के बाद मरीजों को सलाह और उचित दवाएं उपलब्ध कराने के लिए ज़िम्मेदार होते हैं। उनके बिना अच्छा स्वास्थ्य संभव नहीं है क्योंकि वे न केवल दवाएं बेचते हैं, बल्कि यह भी बताते हैं कि उन्हें कैसे और कब लेना है। यह दिन सभी को दवाओं और फार्मेसी क्षेत्र के कामकाज की समझ देता है। आचार्य निसर्ग की पेंटिंग “विश्व फार्मासिस्ट दिवस” का प्रतिनिधित्व करती है, जो हर साल 25 सितंबर को मनाया जाता है। यह दिवस स्वास्थ्य सेवा में फार्मासिस्टों (दवा वितरकों/केमिस्टों) के महत्वपूर्ण योगदान के सम्मान में मनाया जाता है। यह नारा दर्शाता है कि जब भी स्वास्थ्य की बात आती है, फार्मासिस्टों को याद किया जाना चाहिए। प्रजापति स्वाति की पेंटिंग में फार्मासिस्ट की विभिन्न भूमिकाओं को खूबसूरती से दर्शाया गया है। बीच में, एक फार्मासिस्ट को कई भुजाओं के साथ दिखाया गया है, जो उसके बहुमुखी कर्तव्यों का प्रतीक है।उन हाथों में जड़ी-बूटियाँ, पौधे, रिपोर्ट और सीरम जैसी चीज़ें हैं। ऊपर बाईं ओर एक फार्मासिस्ट प्रयोगशाला में शोध करते हुए दिखाई दे रहा है। ऊपर दाईं ओर एक मेडिकल स्टोर में मरीज़ों को दवाइयाँ देते हुए दिखाई दे रहा है। नीचे बाईं ओर हर्बल और एलोपैथिक दवाओं का उत्पादन दिखाई दे रहा है। नीचे दाईं ओर फार्मासिस्ट महामारी से लड़कर समाज की सेवा कर रहे हैं। बीच में विश्व और चिकित्सा क्षेत्र का प्रतीक दिखाई दे रहा है, जो स्वास्थ्य क्षेत्र के वैश्विक महत्व को दर्शाता है। रूपारेल देवांशी की तस्वीर एक प्राथमिक चिकित्सा किट के महत्व को दर्शाती है, जिसमें पट्टियाँ, रुई, मलहम और कीटाणुनाशक तरल जैसी चीज़ें होनी चाहिए जिनका इस्तेमाल छोटी-मोटी चोटों पर तुरंत किया जा सके। यह किट हर घर में होनी चाहिए,ताकि आपातकाल स्थिति में तुरंत इलाज मिल सके। समय पर प्राथमिक उपचार आपको कई बड़ी मुसीबतों से बचा सकता है।छात्र पुखरामबम तोम्बा की पेंटिंग विश्व फार्मासिस्ट दिवस की भावना को दर्शाती है, जो फार्मासिस्टों के इस धरती के लिए महत्वपूर्ण वैश्विक योगदान को दर्शाती है। दवाओं और चिकित्सा उपकरणों से घिरा एक ग्लोब यह दर्शाता है कि वे दुनिया भर में रोगी सुरक्षा और स्वास्थ्य सेवा के केंद्र में हैं। यह कलाकृति उनके समर्पण का सम्मान करती है और दर्शाती है कि हमारे समुदायों को स्वस्थ रखने में फार्मेसी का पेशा कितना महत्वपूर्ण है। जबकि सोमानी प्रियाल की पेंटिंग विश्व फार्मेसी दिवस के उत्सव को दर्शाती है। इसमें एक फार्मासिस्ट सफेद कोट और चश्मा पहने और हाथ में एक बड़ा लाल-सफेद कैप्सूल लिए खड़ा है, जो दवाओं के महत्व को समझा रहा है। आसपास अलग-अलग रंग के कैप्सूल और दवा की बोतलें नजर आ रही हैं, जो स्वास्थ्य और चिकित्सा के क्षेत्र को दर्शाती हैं। नीचे, एक कार्टून जैसा कैप्सूल हाथ में इंजेक्शन और दवा लिए खड़ा है, जो पेंटिंग को आकर्षक और शिक्षाप्रद बनाता है। पेंटिंग में मेडिकल क्रॉस के निशान स्वास्थ्य सेवाओं का प्रतीक हैं। दाईं ओर, दवा बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक मोर्टार और मूसल बनाया गया है, जो फार्मेसी का पारंपरिक प्रतीक है। ऊपरी कोने में, कैडुसियस का प्रतीक है, जो स्वास्थ्य और चिकित्सा के क्षेत्र से जुड़ा है। यह सभी चित्र लोगों के जीवन में फार्मासिस्टों के अमूल्य योगदान का सम्मान करता है। इस चित्रकला प्रदर्शनी में महाविद्यालय की निर्णायक टीमने 15 विद्यार्थियों को सुन्दर पुरस्कारों से सम्मानित किया था तथा शेष विद्यार्थियों को उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों द्वारा प्रमाणपत्र एवं स्मृति चिन्ह भेंट देकर सम्मानित किया था।
इस कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित धोलका तालुका के विधायक श्री किरीटसिंह डाभीने अपने भाषण में कहा कि “आज यहाँ उपस्थित होना मेरे लिए गर्व की बात है। इस महाविद्यालय के मेनेजिंग ट्रस्टी श्री मगनभाई पटेल के मार्गदर्शन और नेतृत्व में यह महाविद्यालय प्रगति के पथ पर अग्रसर है, जिसके लिए मैं आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूँ।आप सभी जानते हैं कि किसी भी समाज का स्वास्थ्य उसकी प्रगति का आधार होता है और स्वास्थ्य को बनाए रखने में फार्मासिस्टों की भूमिका अहम होती है। अक्सर पर्दे के पीछे रहकर काम करनेवाले इन फार्मासिस्टों के योगदान की सराहना की जानी चाहिए। फार्मासिस्ट सिर्फ़ दवादेनेवाला व्यक्ति नहीं होता, बल्कि एक स्वास्थ्य सलाहकार भी होता है जो हमारे इलाज में अहम भूमिका निभाता है। उन्होंने आगे कहा कि धोलका तालुका के लगभग 90 छात्र और छात्राएं इस कॉलेज में पढ़ रहे हैं और मैं उनकी प्रगति देखकर बहुत प्रभावित हूँ। इसमें कोई संदेह नहीं है कि अर्बन क्षेत्र में स्थित इस कॉलेज को न केवल राज्य में बल्कि देश में भी प्रथम श्रेणी का कॉलेज कहा जा सकता है। श्री मगनभाई पटेल के मार्गदर्शन में, इस कॉलेज में बी.फार्म का परिणाम 90 से 95% जबकि एम.फार्म का परिणाम 100% है जिसके लिए आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस कॉलेज का सुंदर बुनियादी ढांचा, विशेषज्ञ प्रोफेसर और हरियाली देश की किसी अन्य कॉलेज में नहीं होगी। जिस लगन और उत्साह के साथ श्री मगनभाई पटेल 84 वर्ष की आयु में भी काम कर रहे हैं और इस कॉलेज के सभी छात्र और प्रोफेसर उन्हें “बापूजी” कहकर संबोधित करते हैं, वह बहुत ही सराहनीय है। आज भी, वे लगभग 40 सामाजिक संगठनों में उच्च पदों पर आसीन होकर सामाजिक कार्य कर रहे हैं इसके लिए श्री मगनभाई पटेल को बहुत धन्यवाद देता हूं।“
इस अवसर पर धोलका तालुका के पूर्व अध्यक्ष श्री महेंद्रसिंह मंडोरा ने कहा कि फार्मासिस्ट हर मरीज को दवाओं का सही मात्रा में उपयोग, उनके दुष्प्रभाव और भोजन के साथ संबंध के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं। वे समाज में महामारियों के बारे में जागरूकता फैलाकर और टीकाकरण में मदद करके सार्वजनिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में भी मदद करते हैं। इस कार्यक्रम में धोलका तालुका के पूर्व अध्यक्ष श्री दिग्विजय मसानी ने भी अपने भाषण में कहा कि इस कॉलेज से तैयार फार्मासिस्ट भविष्य में हमारे समाज को स्वस्थ बनाने में अपना अमूल्य योगदान देंगे, श्री मगनभाई पटेल साहब के नेतृत्व में इस संस्थान का शैक्षणिक वातावरण और शिक्षा का स्तर सराहनीय है। आपका ज्ञान और आपकी लगन कई लोगों की जान बचा सकती है, इसलिए हमेशा अपने ज्ञान को अपडेट रखें और अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करें। इस कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर सूरज चौहान ने दिया तथा कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।