आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार उनके खिलाफ चाहे जितने भी मामले दर्ज कर ले, वह झुकेंगे नहीं।
इससे पहले, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिल्ली सरकार के स्कूलों में कक्षाओं के निर्माण में दो हजार करोड़ रुपये के कथित घोटाले में आप नेता मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए अपनी मंजूरी दे दी।
सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रपति ने अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार में सिसोदिया और जैन के मंत्री रहने के दौरान हुए कथित घोटाले के संबंध में उनके खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज करने को मंजूरी दे दी है।
सिसोदिया ने एक बयान में कहा, ‘‘मेरे संज्ञान में आया है कि केंद्र सरकार ने स्कूल भवन और कक्षाओं के निर्माण को लेकर मेरे और सत्येंद्र जैन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है।’’
दिल्ली के पूर्व शिक्षा मंत्री सिसोदिया ने कहा, ‘‘मैं भाजपा और केंद्र सरकार से कहना चाहता हूं कि जितने मामले दर्ज करने हैं कर लो। चाहे वो मेरे खिलाफ हो, सत्येंद्र जैन के खिलाफ हो, आतिशी के खिलाफ हो, अरविंद केजरीवाल के खिलाफ हो या फिर आम आदमी पार्टी के किसी और नेता के खिलाफ हो, हम भाजपा के सामने नहीं झुकेंगे।’’
सिसोदिया ने भाजपा को उसके चुनावी वादों की याद दिलाई और पूछा कि वह इन्हें कब पूरा करेगी।
उन्होंने कहा, ‘‘ कल होली है। आपने दिल्ली के परिवारों को जो मुफ़्त सिलेंडर देने का वादा किया था, वो कहां है? और आप दिल्ली की महिलाओं को 2,500 रुपये प्रति माह देने का अपना वादा कब पूरा करेंगे?’’
केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने 17 फरवरी, 2020 की एक रिपोर्ट में लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) द्वारा दिल्ली सरकार के स्कूलों में 2,400 से अधिक कक्षाओं के निर्माण में “घोर अनियमितताओं” को उजागर किया था।
राष्ट्रपति की मंजूरी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17ए के तहत मिली, जो “सरकारी कार्यों या कर्तव्यों के निर्वहन में लोक सेवक द्वारा की गई सिफारिशों या लिए गए निर्णय से संबंधित अपराधों की जांच या अन्वेषण” से संबंधित है।
जुलाई 2019 में, भाजपा नेता हरीश खुराना और तत्कालीन आप के बागी विधायक कपिल मिश्रा, जो अब दिल्ली सरकार में मंत्री हैं, ने कथित घोटाले के बारे में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी।
दिल्ली सरकार के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) द्वारा तैयार की गई एक रिपोर्ट के अनुसार, शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि दिल्ली में कक्षाओं और स्कूल भवनों के निर्माण में 2,000 करोड़ रुपये से अधिक का घोटाला हुआ है। यह कार्य दिल्ली सरकार द्वारा अत्यधिक बढ़ी हुई लागत पर किया गया था।
कथित घोटाला लगभग 12,748 कक्षाओं के निर्माण से जुड़ा है।
एसीबी की रिपोर्ट में कहा गया है कि कक्षाओं और स्कूल भवनों के निर्माण पर कुल 2,892.65 करोड़ रुपये खर्च हुए। इनका निर्माण कथित तौर पर 8,800 रुपये प्रति वर्ग फुट की दर से किया गया था, जबकि यह सर्वविदित है कि औसत निर्माण लागत (यहां तक कि फ्लैटों के बिल्डर के लिए भी) लगभग 1,500 रुपये प्रति वर्ग फुट थी।