कांग्रेस नेता राहुल गांधी और राजद नेता तेजस्वी यादव ने बिहार में अपनी ‘मतदाता अधिकार यात्रा’ के दौरान एक साथ बाइक चलाते नज़र आए। हालाँकि, उनके रिश्तों में तनाव के संकेत तब मिले जब गांधी ने तेजस्वी यादव के मुख्यमंत्री पद से जुड़े एक सवाल को टाल दिया। अररिया में एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी से पूछा गया कि क्या वह बिहार में तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में समर्थन देते हैं। हालांकि, राहुल गांधी ने इस सवाल को टाल दिया और कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया। इसमें सीपीआई-एमएल (लिबरेशन) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख मुकेश साहनी भी शामिल हुए।
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यह प्रेस वार्ता राहुल गांधी द्वारा बिहार मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के तहत मतदाता धोखाधड़ी के विपक्ष के आरोपों के खिलाफ समर्थन जुटाने के लिए शुरू की गई ‘मतदाता अधिकार यात्रा’ के दौरान हुई। पत्रकार ने राहुल से सवाल किया कि तेजस्वी कह चुके हैं कि अगर अगली सरकार बनेगी देश में तो राहुल गांधी पीएम बनेंगे। उसने आगे कहा कि बिहार को लेकर अब तक आपकी पार्टी से साफ क्यों नहीं किया जा रहा है कि तेजस्वी यादव सीएम बनेंगे?
इसके जवाब में राहुल ने कहा कि बहुत अच्छे तरीके से एक पार्टनरशिप बनी है। हम सारी की सारी पार्टियां एक साथ जुड़कर काम कर रही हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कोई टेंशन नहीं है और म्युचुअल रिस्पेक्ट है। एक-दूसरे की मदद हो रही है तो मजा भी आ रहा है। आइडियोलॉजिकली हम अलाइन्ड हैं। पॉलिटिकली अलाइन्ड हैं। तो बहुत अच्छा रिजल्ट आएगा। मगर, वोट चोरी को रोकना है। हालांकि, इस दौरान राहुल ने एक बार भी तेजस्वी तो सीएम बनाने की बात नहीं कही।
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गांधी ने आगे आरोप लगाया कि चुनाव आयोग महाराष्ट्र, हरियाणा और कर्नाटक जैसे राज्यों में निष्पक्ष चुनाव कराने में विफल रहा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और उसके सहयोगी बिहार में ऐसी हरकतें नहीं होने देंगे। कर्नाटक का ज़िक्र करते हुए, गांधी ने बताया कि जब उन्होंने महादेवपुरा में फ़र्ज़ी मतदाताओं के बारे में चिंता जताई, तो उनसे तुरंत सबूत पेश करने को कहा गया, जबकि भाजपा नेताओं के ऐसे ही दावों की इतनी जाँच नहीं की गई।