नेपाल में कई हफ्तों तक चले सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बाद, 73 वर्षीय सुशीला कार्की ने शनिवार को देश की पहली अंतरिम महिला प्रधानमंत्री के रूप में पदभार संभाला। इन प्रदर्शनों का नेतृत्व मुख्य रूप से जेन जी के युवाओं ने किया था, जो भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ आवाज उठा रहे थे।
राजनीतिक उथल-पुथल का अंत
प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के अचानक इस्तीफे के बाद, नेपाल में राजनीतिक अनिश्चितता का दौर चल रहा था। प्रदर्शनकारियों द्वारा उनके कार्यालय पर धावा बोलने और देशव्यापी अशांति के बाद, जिसमें 50 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी, ओली को पद छोड़ना पड़ा। सुशीला कार्की की नियुक्ति के साथ इस राजनीतिक संकट का अंत हुआ। उन्होंने शुक्रवार रात शपथ ली और अगले दिन अपना कार्यभार संभाला।
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कार्की की प्राथमिकताएं और वादे
पदभार संभालने के बाद कार्की ने कहा कि उनकी सरकार का लक्ष्य सत्ता का आनंद लेना नहीं, बल्कि देश को स्थिरता प्रदान करना है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी सरकार छह महीने से ज्यादा नहीं रहेगी और वे नई संसद को जिम्मेदारी सौंपेंगे। कार्की ने कहा, ‘हमारा पहला काम बर्बरता की घटना में शामिल लोगों की जांच करना होगा।’ उन्होंने ‘आर्थिक समानता और भ्रष्टाचार के उन्मूलन’ की मांग करने वाले 27 घंटे के आंदोलन को अपनी सरकार की पहली प्राथमिकता बताया।
काठमांडू में सामान्य होते हालात
कई दिनों तक चले तनावपूर्ण विरोध प्रदर्शनों के बाद, रविवार को काठमांडू और अन्य शहरों की सड़कें सामान्य होती दिखीं। यातायात हल्का था, कुछ दुकानें फिर से खुल गईं और तनाव कम होने के संकेत साफ नजर आए।
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चीन ने दी बधाई
सुशीला कार्की के पदभार संभालने पर चीन ने उन्हें बधाई दी है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि चीन नेपाल के लोगों द्वारा चुने गए विकास पथ का सम्मान करता है। उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए नेपाल के साथ मिलकर काम करने की इच्छा भी व्यक्त की।