Saturday, March 15, 2025
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गुइलेन बैरी सिंड्रोम: जानें लक्षण, कारण और उपचार

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हाल ही में महाराष्ट्र में गुइलेन बैरी सिंड्रोम (जीबीएस) के 100 से अधिक मामले सामने आए हैं, जिसमें पुणे में एक मरीज की मृत्यु भी हुई है। एम्स की प्रोफेसर डॉ. सुजाता शर्मा ने बताया कि लोगों को इस बीमारी से डरने की जरूरत नहीं है, लेकिन लक्षण प्रकट होने पर तुरंत उपचार कराना आवश्यक है। खुद इस बीमारी का सामना कर चुकी डॉ. सुजाता ने स्पष्ट किया कि यह एक संक्रामक बीमारी नहीं है। गुइलेन बैरी सिंड्रोम एक ऑटोइम्यून स्थिति है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अपनी ही तंत्रिका तंत्र पर हमला कर देती है, जिससे कमजोरी, सुन्नता या लकवे जैसी समस्याएं हो सकती हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस स्थिति को मेडिकल इमरजेंसी मानते हैं, जो तुरंत उपचार की मांग करती है, अन्यथा जान का जोखिम भी हो सकता है।

गुइलेन बैरी सिंड्रोम कब होता है?

गुइलेन बैरी सिंड्रोम तब उत्पन्न होता है जब बैक्टीरिया और वायरस के संक्रमण के बाद शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली सक्रिय हो जाती है। इस स्थिति में प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से शरीर के तंत्रिका तंत्र पर हमला करना शुरू कर देती है।

लक्षण:

इस बीमारी के शुरुआती लक्षणों में शामिल हैं:

  • पैरों और उंगलियों में झुनझुनी या कमजोरी
  • शरीर के ऊपरी हिस्से तक कमजोरी का फैलाव
  • सांस लेने, निगलने या बोलने में कठिनाई
  • गंभीर मामलों में लकवे की संभावना

कारण:

गुइलेन बैरी सिंड्रोम अक्सर फ्लू या पेट के कीड़ों जैसे संक्रमण से शुरू होता है। कुछ मामलों में, यह टीकाकरण या अन्य बीमारियों से भी उत्पन्न हो सकता है, लेकिन इसका सटीक कारण हमेशा स्पष्ट नहीं होता।

उपचार:

हां, गुइलेन बैरी सिंड्रोम का इलाज किया जा सकता है। इम्युनोग्लोबुलिन थेरेपी इस बीमारी की गंभीरता को कम करने में मदद कर सकती है। यह उपचार आमतौर पर अस्पताल में किया जाता है, और प्रारंभिक उपचार से रिकवरी में सुधार संभव है।

रिकवरी का समय:

गुइलेन बैरी सिंड्रोम से रिकवरी समय व्यक्ति से व्यक्ति में भिन्न हो सकती है। कई लोग कुछ हफ्तों या महीनों में ठीक हो जाते हैं, जबकि कुछ को पूर्ण ठीक होने में सालों लग सकते हैं या दीर्घकालिक प्रभावों का सामना करना पड़ सकता है।

संक्रामकता:

गुइलेन बैरी सिंड्रोम संक्रामक नहीं है। यह एक विकार है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अपनी ही नसों पर हमला करती है, न कि किसी वायरस या बैक्टीरिया पर जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है।

जोखिम:

यह स्थिति किसी को भी हो सकती है, लेकिन यह वयस्कों और वृद्ध व्यक्तियों में अधिक सामान्य है। हाल ही में किसी संक्रमण का सामना करने वाले लोगों, खासकर वायरल या बैक्टीरियल, में इसका जोखिम ज्यादा होता है।

यदि आप या आपके जानने वाले किसी भी लक्षण का अनुभव कर रहे हैं, तो तुरंत चिकित्सीय सलाह लें।

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