इसरो प्रमुख वी नारायणन ने हाल ही में भारत के प्रमुख अंतरिक्ष उद्देश्यों पर एक अपडेट दिया, जिसमें देश के पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष यान मिशन के प्रक्षेपण कार्यक्रम की पुष्टि की गई और चंद्र अन्वेषण एवं अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्यों की रूपरेखा प्रस्तुत की गई। इसरो प्रमुख के अनुसार, भारत का पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष यान मिशन गगनयान, 2027 में अपने प्रक्षेपण के लिए तैयार है। भारत की अंतरिक्ष क्षमता को रेखांकित करते हुए, इसरो प्रमुख वी. नारायणन ने कहा कि देश नौ अंतरिक्ष श्रेणियों में विश्व स्तर पर प्रथम स्थान पर है। इसरो की उपलब्धियों में चंद्रयान-1 मिशन के ज़रिए चंद्रमा पर पानी की खोज से लेकर चंद्रयान-3 मिशन के ज़रिए चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास पहली सॉफ्ट लैंडिंग तक शामिल है। इसरो प्रमुख ने कहा कि इस सफलता के आधार पर प्रधानमंत्री ने 2040 तक भारत के पहले मानवयुक्त चंद्र मिशन का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसके बाद इसरो को उम्मीद है कि उसके पास नागरिकों को चंद्रमा पर ले जाने और वापस लाने की क्षमता होगी।
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अंतर्राष्ट्रीय रणनीति और डेटा अंतर्दृष्टि
इसरो प्रमुख वी. नारायणन ने इसरो के अन्य मिशनों और सहयोगों पर भी जानकारी दी:
अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: भारत अपनी वैज्ञानिक और रणनीतिक प्राथमिकताओं के आधार पर अंतरिक्ष में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए तैयार है।
आदित्य एल1 की सफलता: आदित्य एल1 मिशन ने पहले ही 15 टेराबिट से अधिक सौर डेटा प्राप्त कर लिया है, जिससे कोरोनल मास इजेक्शन और अंतरिक्ष मौसम के बारे में गहन जानकारी मिलती है।
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भविष्य के बुनियादी ढाँचे की आवश्यकताएँ
भारी-उठाने वाला रॉकेट: इसरो को अपनी भविष्य की महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए 80,000 किलोग्राम भार को पृथ्वी की निचली कक्षा तक ले जाने में सक्षम रॉकेट के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।
व्यावसायिक सफलता: अंतरिक्ष में भारत की विश्वसनीयता को रेखांकित करते हुए, इसरो प्रमुख ने कहा कि एजेंसी ने 34 देशों के 433 उपग्रहों को व्यावसायिक रूप से सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया है।