Monday, June 2, 2025
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चागोस द्वीप मॉरीशस को सौंपने से ब्रिटेन की सुरक्षा मजबूत होगी: ब्रिटेन सरकार

ब्रिटेन ने विवादित चागोस द्वीप समूह की संप्रभुता मॉरीशस को सौंपने के लिए बृहस्पतिवार को एक समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद कहा कि यह कदम अमेरिका-ब्रिटिश सैन्य अड्डे के भविष्य को सुनिश्चित करता है जो उसकी सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।

हिंद महासागर द्वीपसमूह के सबसे बड़े द्वीप डिएगो गार्सिया पर सामरिक रूप से अहम नौसैनिक और बमवर्षक अड्डा स्थित है।
समझौते के तहत ब्रिटेन मॉरीशस को कम से कम 99 साल के लिए अड्डे को पुनः पट्टे पर लेने के लिए प्रति वर्ष औसतन 10 करोड़ 10 लाख पाउंड का भुगतान करेगा।

प्रधानमंत्री केअर स्टॉर्मर ने कहा कि अमेरिकी सेना द्वारा संचालित यह अड्डा ब्रिटिश आतंकवाद-रोधी और खुफिया जानकारी के लिए महत्वपूर्ण है और यह ‘‘हमारी घरेलू सुरक्षा का आधार है।’’

स्टॉर्मर ने लंदन के निकट नॉर्थवुड में ब्रिटिश सैन्य मुख्यालय में संवाददाताओं से कहा, ‘‘अपनी शर्तों पर यह समझौता करके हम मजबूत सुरक्षा सुनिश्चित कर रहे हैं। … इससे यह सैन्य अड्डा अगली शताब्दी तक अच्छे तरीके से संचालित हो सकेगा और आने वाली कई पीढ़ियों तक हमें सुरक्षित रखने में मदद करेगा।’’

इस समझौते के आलोचकों का तर्क है कि दो शताब्दियों से ब्रिटिश क्षेत्र रहे इस द्वीपसमूह को छोड़ने से रूस या चीन जैसी विदेशी शक्तियों के हस्तक्षेप का खतरा पैदा हो जाएगा। इस समझौते को संसद द्वारा अनुमोदित किया जाना आवश्यक है।

कंजर्वेटिव पार्टी के प्रवक्ता जेम्स कार्टलिज ने इस समझौते की कड़ी आलोचना की। यह समझौता द्वीप के कुछ मूल निवासियों के विरोध के बावजूद किया गया था। इन निवासियों को सैन्य अड्डा बनाने के लिए दशकों पहले निष्कासित कर दिया गया था।

इससे पहले, ब्रिटेन की एक अदालत ने विवादित चागोस द्वीप समूह को मॉरीशस को सौंपने पर ब्रिटिश सरकार पर लगाई गई रोक हटा दी थी।
स्टॉर्मर और मॉरीशस के नेता नवीन रामगुलाम द्वारा बृहस्पतिवार को समझौते पर हस्ताक्षर किये जाने से कुछ घंटे पहले, उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश ने हस्तांतरण पर रोक लगाने के लिए एक अस्थायी आदेश जारी किया था।

हालांकि, सुनवाई के बाद न्यायाधीश ने कहा कि रोक हटा दी जानी चाहिए।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन से इस संबंध में परामर्श लिया गया था और उसने अपनी स्वीकृति दे दी, लेकिन लागत को लेकर अंतिम क्षणों में बातचीत के बाद समझौते को अंतिम रूप देने में देरी हुई।

ब्रिटिश साम्राज्य के अंतिम अवशेषों में से एक चागोस द्वीपसमूह 1814 से ब्रिटेन के नियंत्रण में रहा है। ब्रिटेन ने 1965 में मॉरीशस से इस द्वीपसमूह को अलग कर दिया था। मॉरीशस को इसके तीन साल बाद स्वतंत्रता मिली।

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