Thursday, December 18, 2025
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जस्टिस वर्मा मामले में कानूनी सवाल उठे, SC सुनेगा अर्जी

सुप्रीम कोर्ट इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका पर सुनवाई करेगा। दिल्ली हाई कोर्ट में तैनात रहे जस्टिस वर्मा ने अपने बंगले से जले नोटों के बंडल मिलने से जुड़े आरोपों की जांच के लिए लोकसभा अध्यक्ष द्वारा गठित समिति को चुनौती दी है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान महाभियोग प्रक्रिया में गंभीर प्रक्रियागत खामियों की ओर इशारा किया। जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने पूछा- संसद में इतने कानूनी विशेषज्ञ हैं, फिर भी यह बुनियादी गलती कैसे होने दी गई? पीठ ने लोकसभा अध्यक्ष के फैसले पर सवाल उठाए। साथ ही लोकसभा और राज्यसभा सचिवालय को नोटिस जारी किया है। अब इस मामले की सुनवाई जनवरी के पहले सप्ताह में होगी। लोकसभा अध्यक्ष ने 12 अगस्त को जजेज (इन्क्वायरी) एक्ट के तहत समिति बनाई, जो जस्टिस वर्मा के आवास से बेहिसाब नकदी मिलने की जांच कर रही है। समिति में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरविंद कुमार, मद्रास हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस एमएम श्रीवास्तव व वरिष्ठ अधिवक्ता बी. वासुदेव आचार्य हैं। वहीं, जस्टिस वर्मा का कहना है-महाभियोग नोटिस दोनों सदनों में दिए गए थे, इसके बावजूद राज्यसभा के सभापति से परामर्श के बिना समिति बनाई गई, जो असंवैधानिक है।

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नियमों की अनदेखी

जांच समिति गठित करते समय अपनाई गई प्रक्रिया को चुनौती देते हुए वर्मा ने तर्क दिया कि लोकसभा और राज्यसभा दोनों में महाभियोग प्रस्ताव के नोटिस दिए गए थे, इसके बावजूद लोकसभा अध्यक्ष ने राज्यसभा के सभापति द्वारा प्रस्ताव की स्वीकृति पर निर्णय का इंतजार किए बिना और कानून द्वारा अनिवार्य संयुक्त परामर्श किए बिना, खुद ही समिति का गठन कर दिया। जहा प्रस्ताव के नोटिस दोनों सदनों को एक ही तारीख को दिए जाते हैं, जैसा कि इस मामले में है, वहा कोई समिति गठित नहीं की जाएगी, यह अनिवार्य है, जब तक कि प्रस्ताव दोनों सदनों में स्वीकार न कर लिया जाए।

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जज के बंगले पर लगी आग के बाद मिले थे नोट

14 मार्च की रात जस्टिस वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास में आग लगी, जली हुई नकदी मिली। तत्कालीन सीजेआई संजीव खन्ना ने इसकी जांच के लिए इन-हाउस समिति बनाई। समिति ने जस्टिस वर्मा को दोषी ठहराते हुए पद से हटाने की सिफारिश की। फिर संसद में महाभियोग प्रक्रिया का प्रस्ताव।

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