युवा चेस खिलाड़ी दिव्या देशमुख ने कोनेरू हम्पी को फिडे महिला वर्ल्ड कप फाइनल में हराकर खिताब पर कब्जा जमाया है। इसके साथ ही वह देश की 88वीं ग्रैंड मास्टर बन गई हैं। उन्होंने टाई ब्रेकर में ये जीत हासिल की है।
इससे पहले दिव्या देशमुख ने दूसरी बाजी में रविवार को हंपी को ड्रॉ खेलने पर मजबूर किया। शनिवार को खेली गई पहली बाजी भी ड्रॉ रही। ऐसे में आज टाईब्रेकर से विजेता का फैसला हुआ। टाईब्रेकर में कम अवधि की बाजियां खेली जाती हैं। दिव्या देशमुख चौथी भारतीय महिला शतरंज खिलाड़ी हैं जिन्होंने ग्रैंडमास्टर का तमगा हासिल किया।
दिव्या बचपन में बैडमिंटन खेलना चाहती थीं। उनकी उम्र कम थी ऐसे में माता-पिता ने उन्हें शतरंज सिखाया। दिव्या को एकेडमी ले जाने के लिए उनके परिजन रिश्वत देते थे।
फिडे महिला वर्ल्ड कप फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय
फिडे महिला वर्ल्ड कप 2025 में अपने बेहतरीन प्रदर्शन के साथ दिव्या देशमुख पहले तो कोनेरू हम्पी के बाद सेमीफाइनल में पहुंचने वाली दूसरी भारतीय महिला बनीं। फिर उन्होंने टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय बनकर इतिहास रच दिया। दिव्या ने हेक्सामाइंड शतरंज क्लब का प्रतिनिधित्व किया और ब्लिट्ज सेमीफानल में महिलाओं की वर्ल्ड नंबर 1 होउ यिफान को 74 चालों के रूक बनाम बिशप एंडगेम में मात दी।
वहीं दिव्या के बारे में एक और बात ये है कि वह वर्तमान में शतरंज में महिलाओं में विश्व जूनियर नंबर1 हैं। फिडे वर्ल्ड जूनियर गर्ल्स चैंपियनशिप 2024 जीतना अपने आप में एक बड़ी बात है। लेकिन इससे भी ज्यादा दिलचस्प बात ये है कि वह पूरे टूर्नामेंट में अपराजित रहीं और 11 में से 10 अंक हासिल किए।
सबसे निचली वरीयता प्राप्त खिलाड़ी से लेकर 2024 में टाटा स्टील इंडिया शतरंज टूर्नामेंट जीतने तक सभी को चौंका देने वाली दिव्या ने 2024 शतरंज ओलंपियाड में तहलका मचा दिया है। दिव्या ने न केवल एक बल्कि दो गोल्ड पदक विजेता टीमों के साथ व्यक्तिगत स्पर्धाओं में भी गोल्ड पदक जीते हैं।