Wednesday, October 15, 2025
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जो भी हुआ, उससे मैं…जूताकांड के बाद CJI ने तोड़ी अपनी चुप्पी

भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने गुरुवार को जूता हमले की घटना पर अपना रुख दोहराया और कहा कि यह एक भुला दिया गया अध्याय है। जूता हमले पर गवई ने कहा कि जो हुआ उससे मैं और मेरे विद्वान भाई बहुत स्तब्ध हैं; हमारे लिए यह एक भुला दिया गया अध्याय है। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू ने गुरुवार को न्यायाधीशों से अदालत में संयम बरतने और “कम बोलने” का आग्रह किया। 71 वर्षीय वकील राकेश किशोर ने कथित तौर पर भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई पर जूता फेंकने का प्रयास किया था और उन पर हिंदू धर्म का अपमान करने का आरोप लगाया था। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने वकील राकेश किशोर की सदस्यता समाप्त कर दी, जिन्होंने अदालत कक्ष के अंदर भारत के मुख्य न्यायाधीश पर जूता फेंकने का प्रयास किया था। उन्हें गंभीर कदाचार का दोषी पाते हुए, उनकी सदस्यता समाप्त कर दी गई। 

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सुप्रीम कोर्ट में एक 71 वर्षीय वकील ने कथित तौर पर भारत के मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई की ओर उनके न्यायालय कक्ष में जूता फेंकने का प्रयास किया, जिसके बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने उनका लाइसेंस तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। वकील को “सनातन धर्म का अपमान नहीं सहेंगे” के नारे लगाते हुए सुना गया। अदालती कार्यवाही के दौरान और उसके बाद हुई इस अभूतपूर्व घटना से अविचलित रहे प्रधान न्यायाधीश ने अदालत के अधिकारियों और अदालत कक्ष में मौजूद सुरक्षाकर्मियों से कहा कि वे इसे नजरअंदाज करें और राकेश किशोर नामक दोषी वकील को चेतावनी देकर छोड़ दें। 

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न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन के साथ पीठ पर बैठे मुख्य न्यायाधीश ने वकीलों से कहा कि इस सब से विचलित न हों। हम विचलित नहीं हैं। इन बातों का मुझ पर कोई असर नहीं पड़ता। उन्होंने मामलों की सुनवाई जारी रखी। बार निकायों, एससीबीए और एससीएओआरए, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और राजनीतिक दलों सहित वकीलों ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए इसे “संविधान और समग्र संस्था पर हमला बताया। दिल्ली के मयूर विहार निवासी किशोर से दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने शीर्ष अदालत परिसर में तीन घंटे तक पूछताछ की और बाद में कोई औपचारिक शिकायत दर्ज न होने पर उन्हें दोपहर 2 बजे जाने दिया गया।
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