अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि उन्होंने ब्रिक्स देशों के ब्लॉक की महत्वाकांक्षाओं को रोकने में भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि उन्होंने किसी भी देश को चेतावनी दी थी जो ब्रिक्स में शामिल होना चाहता, उस पर अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ लगाए जाएंगे। उनके अनुसार, इसी चेतावनी के कारण कई देशों ने ब्लॉक में शामिल होने का विचार बदल दिया।
बता दें कि ब्रिक्स ब्लॉक में मूलतः ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। 2024 में इसमें मिस्र, इथियोपिया, ईरान और यूएई और 2025 में इंडोनेशिया को जोड़ा गया था। ट्रंप ने इसे डॉलर के खिलाफ हमला बताया और कहा कि उन्होंने सभी ब्रिक्स देशों पर टैरिफ की धमकी दी, जिससे उनका उद्देश्य अमेरिकी डॉलर और आर्थिक शक्ति को सुरक्षित रखना था।
गौरतलब है कि भारत ने इस मामले में संतुलित रुख अपनाया है। विदेश मंत्री डॉ. सुभाष चंद्रमण जयशंकर ने मार्च 2025 में कहा था कि भारत डॉलर के महत्व को समझता है और इसका उल्लंघन करने में कोई रुचि नहीं रखता। हालाँकि, तब से अमेरिकी और भारतीय व्यापारिक संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं, विशेष रूप से रूस से तेल खरीद को लेकर ट्रंप द्वारा भारतीय निर्यात पर उच्च टैरिफ लगाने के बाद।
मौजूद जानकारी के अनुसार, ट्रंप का यह कदम अमेरिकी वित्तीय प्रभुत्व और वैश्विक आर्थिक हितों की रक्षा की दिशा में एक रणनीतिक प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। इसके प्रभाव से ब्रिक्स के विस्तार और उसके वैकल्पिक व्यापार तंत्र पर भी सवाल उठने लगे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में इस स्थिति का वैश्विक व्यापार और डॉलर के वैश्विक प्रभाव पर महत्वपूर्ण असर पड़ सकता है।