तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने रविवार को राज्यपाल आरएन रवि पर पलटवार करते हुए उन कई लड़ाइयों का ज़िक्र किया जो राज्य लड़ रहा है, संघीय अधिकारों की रक्षा से लेकर सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता की रक्षा तक। राज्यपाल रवि ने पहले टिप्पणी की थी कि उन्होंने राज्य भर की दीवारों पर ‘तमिलनाडु पोरादुम’ (तमिलनाडु लड़ेगा) जैसे नारे लिखे देखे थे और सवाल किया था। किससे लड़ें? कोई भी तमिलनाडु के खिलाफ नहीं लड़ रहा है। राज्यपाल की इस टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए कि तमिलनाडु किसके खिलाफ लड़ रहा है? स्टालिन ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि राज्य अहंकार, कट्टरता और षड्यंत्रों” के खिलाफ लड़ता है जो शिक्षा, समानता और लोकतंत्र को कमजोर करते हैं।
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स्टालिन ने एक विस्तृत बयान में कहा कि यह उस अहंकार के खिलाफ है जो कहता है कि शिक्षा के लिए धन तभी दिया जाएगा जब हिंदी को स्वीकार किया जाएगा। उन्होंने केंद्र पर वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने वाले संस्थानों में हिंदी थोपने और अंधविश्वास फैलाने का प्रयास करने का आरोप लगाया। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि तमिलनाडु जनता द्वारा चुनी गई सरकारों को दबाने वाली लोकतंत्र-विरोधी ताकतों और संविधान की गरिमा को ठेस पहुँचाने वालों” से लड़ रहा है। उन्होंने आगे कहा कि राज्य ने राज्यपाल के अधिकारों के अतिक्रमण के खिलाफ अपने अधिकारों की रक्षा के लिए बार-बार अदालतों का दरवाजा खटखटाया है।
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स्टालिन ने आगे आरोप लगाया कि धार्मिक कट्टरता से भरे चालाक समूह भारत की प्रगति में बाधा डाल रहे हैं और उन्होंने तमिलनाडु के उद्योगों और नौकरियों को दूसरे राज्यों में स्थानांतरित करने के प्रयासों की चेतावनी दी। उन्होंने आरएसएस समर्थित दबंग कट्टरपंथियों पर भारतीय लोगों की एकता को तोड़ने और मनुस्मृति को फिर से स्थापित करने का प्रयास करने का आरोप लगाया। उन्होंने एनईईटी, परिसीमन और तिरुवल्लुवर तथा कीलाडी उत्खनन जैसे सांस्कृतिक प्रतीकों के कथित भगवाकरण जैसे मुद्दों का भी उदाहरण दिया, जिनका तमिलनाडु लगातार विरोध कर रहा है।