अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बृहस्पतिवार को कहा कि उनका देश दक्षिण कोरिया को परमाणु-संचालित पनडुब्बी बनाने की गोपनीय तकनीक साझा करेगा।
यह घोषणा ट्रंप और दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ली जे म्युंग के बीच हुई बैठक के बाद की गयी है।
ली ने बुधवार को बैठक में कहा कि उनका उद्देश्य अमेरिका के साथ गठबंधन को आधुनिक बनाना है और उन्होंने रक्षा खर्च बढ़ाने की योजना का उल्लेख किया ताकि अमेरिका पर वित्तीय बोझ कम हो सके।
उन्होंने कहा कि अगस्त में हुई बातचीत में परमाणु पनडुब्बियों को लेकर कुछ गलतफहमी हुई थी।
उन्होंने कहा कि दक्षिण कोरियाई सरकार परमाणु ईंधन चाहती है, हथियार नहीं।
ली ने कहा कि डीजल-चालित पनडुब्बियों की सीमाएं हैं क्योंकि उन्हें नियमित रूप से सतह पर आना पड़ता है, जबकि परमाणु-संचालित पनडुब्बियां लंबे समय तक पानी के भीतर रह सकती हैं। उन्होंने कहा कि यदि दक्षिण कोरिया के पास ऐसी पनडुब्बियां हों तो इससे क्षेत्र में अमेरिका को मदद मिल सकती है।
ट्रंप ने एक अन्य पोस्ट में बताया कि पनडुब्बी का निर्माण अमेरिका के फिली शिपयार्ड में किया जाएगा, जिसे पिछले वर्ष दक्षिण कोरिया के हनह्वा ग्रुप ने खरीदा था।
अभी परियोजना का आकार या लागत स्पष्ट नहीं है, लेकिन सियोल ने अमेरिका की जहाज निर्माण क्षमता में 150 अरब डॉलर निवेश करने का वादा किया है।
विशेषज्ञों के अनुसार, अमेरिकी परमाणु पनडुब्बी तकनीक विश्व की सबसे संवेदनशील और संरक्षित सैन्य तकनीकों में से एक है। यहां तक कि अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए एक समझौते के तहत भी यह तकनीक सीधे हस्तांतरित नहीं की गई थी।
ट्रंप की यह घोषणा चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग से मुलाकात से पहले आई है। चीन और उत्तर कोरिया दोनों के पास परमाणु पनडुब्बियां हैं। उत्तर कोरिया ने इसी वर्ष मार्च में अपनी पहली परमाणु-संचालित पनडुब्बी का अनावरण किया था, जिसे दक्षिण कोरिया और अमेरिका की सुरक्षा के लिए खतरा माना जा रहा है।

