इस बार दिवाली दिल्ली और एनसीआर ग्रीन पटाखों वाली होगी। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 18 से 21 अक्टूबर तक सुबह 6 बजे से 8 बजे और शाम 8 बजे से 10 बजे तक ग्रीन पटाखे फोड़ने की अनुमति दी है। वहीं, इन पटाखों की बिक्री केवल 15 से 25 अक्टूबर तक निर्धारित जगहों पर ही की जा सकेगी।
मौजूद जानकारी के अनुसार, अदालत ने स्पष्ट किया कि केवल CSIR-NEERI द्वारा प्रमाणित ग्रीन पटाखों की ही बिक्री होगी और पुलिस की ओर से अचानक निरीक्षण किए जाएंगे ताकि कोई निर्माता ग्रीन पटाखों के मानकों का उल्लंघन न करे। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बिना पर्याप्त डेटा के पूरी तरह पटाखों पर प्रतिबंध लगाना उचित नहीं था और इसलिए एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाया गया है, जिसमें उत्सव मनाने की आजादी पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना दी गई है।
अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि दिल्ली-एनसीआर में बाहर से कोई पटाखा नहीं लाया जा सकता और नियमों का उल्लंघन करने वाले विक्रेताओं का लाइसेंस निलंबित किया जाएगा। CSIR-NEERI के अनुसार, ग्रीन पटाखों से पारंपरिक पटाखों की तुलना में 20–30% कम हानिकारक कण उत्सर्जित होते हैं। इन्हें हरे CSIR-NEERI लोगो और एन्क्रिप्टेड QR कोड से पहचाना जा सकेगा, जिससे उनकी प्रामाणिकता सुनिश्चित हो।
हालांकि, पर्यावरणविद और स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस निर्णय के प्रति सतर्क हैं। भवरिन कंधारी ने कहा कि दिल्ली की सर्दियों में प्रदूषण जमा होने के कारण ग्रीन पटाखों का केवल 30% उत्सर्जन कम होना पर्याप्त नहीं है। माता-पिता भी बच्चों की स्वास्थ्य सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस दिवाली वाहन, निर्माण और बिजली से पहले से ही उच्च स्तर के प्रदूषण में पटाखों की छूट हवा की गुणवत्ता को और बिगाड़ सकती है।
पिछले वर्षों में ग्रीन पटाखों ने कचरा और धूल कम करने में मदद की है, लेकिन अध्ययन बताते हैं कि ये भी लंग्स में गहरे प्रवेश करने वाले अल्ट्राफाइन कण छोड़ते हैं। गौरतलब है कि पटाखों की बिक्री और फोड़ने के नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PCBs) निरंतर निगरानी करेंगे और दिवाली के बाद प्रदूषण स्तर की रिपोर्ट कोर्ट को प्रस्तुत करेंगे।