दिल्ली की एक अदालत ने किशनगढ़ में गोलीबारी के चार साल पुराने मामले में चार आरोपियों को बरी कर दिया है। यह मामला दो समूहों के बीच लंबे समय से जारी कथित रंजिश का नतीजा था।
गोलीबारी की यह घटना उस वक्त हुई थी जब 2021 में किशनगढ़ में एक एसयूवी में सवार लोगों पर दिनदहाड़े गोली चलाई गई थी।
इस घटना में चालक घायल हो गया था जबकि वाहन में सवार अन्य लोग- सोम राज उर्फ धामी और उसका निजी सुरक्षा अधिकारी कृष्ण हमले में बाल-बाल बच गए थे।
पुलिस ने इस मामले में मुख्य आरोपी हरेंद्र मान और बिमलेश मान समेत आठ लोगों पर आपराधिक साजिश और हत्या के प्रयास समेत अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया था।
धामी ने विशेष प्रकोष्ठ को बताया था कि उसकी हरेंद्र मान और उसके परिवार के सदस्यों से दुश्मनी थी क्योंकि फरवरी 2020 में मान के रिश्तेदार अशोक की हत्या हुई थी और इस मामले में उसे, उसके भाई देवेंद्र और धर्मबीर को संदेह के आधार पर फंसाया गया था।
उसने आरोप लगाया था कि किशनगढ़ में गोलीबारी इसी का नतीजा थी।
मान की ओर से पेश वकीलों रिदम अग्रवाल और नीरज तिवारी ने कहा कि अभियोजन पक्ष का मामला पूरी तरह से अनुमान और बदले की नीयत से लगाए गए आरोपों पर आधारित है और इसमें विश्वसनीय सबूत का अभाव है।
पुलिस के मामले में खामियां निकालते हुए अग्रवाल ने कहा कि जांच के दौरान किसी भी बिंदु पर आरोपियों के कब्जे या नियंत्रण से कोई मोबाइल हैंडसेट, सिम कार्ड या संबंधित इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य बरामद नहीं हुआ।
अग्रवाल ने दलील दी कि मोबाइल फोन से छेड़छाड़ या उसका उपयोग करने का आरोप सबूत अथवा तकनीकी साक्ष्य के अभाव में पूरी तरह से निराधार है और आरोपी पर मुकदमा चलाने के लिए इस पर भरोसा नहीं किया जा सकता।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश किरण गुप्ता ने कहा, ‘‘जांच अधिकारी के अनुसार आरोपी हरेंद्र मान व्हाट्सऐप कॉल पर सह-आरोपियों के संपर्क में था लेकिन ऐसा कोई कॉल विवरण या ‘लोकेशन चार्ट’ रिकॉर्ड में दर्ज नहीं है जिससे प्रथम दृष्टया यह पता चल सके कि आरोपी हरेंद्र मान आपराधिक साजिश का हिस्सा था।’’
उन्होंने कहा कि हरेंद्र मान और बिमलेश मान समेत चार आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी किया जाता है।
हालांकि, गुप्ता ने शेष चार आरोपियों के खिलाफ शस्त्र अधिनियम और हत्या के प्रयास के तहत मुकदमा शुरू करने का आदेश दिया।