दिल्ली पुलिस ने मध्य प्रदेश की 21 वर्षीय बौद्धिक रूप से अशक्त युवती को 37 दिनों की खोज के बाद उसके परिवार से मिला दिया है। इस युवती को पिछले महीने शाहदरा में छोड़ दिया गया था।
अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी
अधिकारियों ने बताया कि सितंबर की शुरुआत से ही मानव व्यवहार एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान (इहबास) में उपचाराधीन युवती को सात अक्टूबर को उसके परिवार को सौंप दिया गया।
सीमापुरी पुलिस थाने को एक पुलिस नियंत्रण कक्ष (पीसीआर) कॉल के माध्यम से एक परित्यक्त गर्भवती युवती के इलाके में होने की सूचना मिली।
पुलिस उपायुक्त (डीसीपी-शाहदरा) प्रशांत गौतम ने कहा, उसे मेडिकल जांच के लिए गुरू तेग बहादुर (जीटीबी) अस्पताल ले जाया गया और बाद में स्थानीय अदालत में पेश किया गया, जिसने उसे मानसिक स्वास्थ्य मूल्यांकन और देखभाल के लिए इहबास में भर्ती करने का आदेश दिया।
डीसीपी ने बताया, इहबास में उसे भर्ती किए जाने के बाद उसके परिवार का पता लगाने के लिए एक दल का गठन किया गया और मुख्य आरक्षी अंकुश को उसके पैतृक गांव रानीखेड़ा, मध्य प्रदेश भेजा गया। हालांकि, पुलिस को शुरुआत में कोई सुराग नहीं मिला।
अधिकारी ने बताया कि उसके परिवार का पता लगाने में मदद के लिए उसके विवरण और तस्वीर को दो समाचार पत्रों में प्रकाशित किया गया।
डीसीपी ने बताया कि इहबास में उपचार के दौरान युवती ने सात सितंबर को समय से पहले एक बच्ची को जन्म दिया, जिसकी एसडीएन अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई।
युवती को उसके परिवार से मिलाने के लिए नए सिरे से प्रयास करते हुए, मुख्य आरक्षी अंकुश और आरक्षी राज सहित सीमापुरी का पुलिस दल फिर मध्य प्रदेश पहुंचा।
डीसीपी ने बताया कि इस बार बागेश्वर धाम इलाके के स्थानीय लोगों ने युवती को पहचान लिया।
पुलिस ने युवती के पोस्टर लगाए और आखिरकार उसके परिवार वालों का पता लगाने में सफल रही।
अधिकारियों ने बताया कि परिवार के सदस्यों को दिल्ली की एक अदालत में पेश किया गया, जिसने मामले को ‘संवेदनशीलता’ और ‘सफलतापूर्वक’ सुलझाने के लिए पुलिस की प्रशंसा की।