पटना। बिहार की ऐतिहासिक और पौराणिक पहचान को आधुनिक स्वरूप देने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के मंत्री डॉ. सुनील कुमार ने सोमवार को बक्सर जिले में “महर्षि विश्वामित्र पार्क” निर्माण कार्य का शिलान्यास किया। सोन नहर के स्केप चैनल के दोनों ओर विकसित होने वाला यह पार्क बक्सर की सांस्कृतिक विरासत और पौराणिक महत्व को नए अंदाज में प्रस्तुत करेगा।
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पार्क में वॉकिंग ट्रैक, ओपन जिम, योगा पार्क, ओपन एयर एम्फीथिएटर, केबल-आधारित हैंगिंग ब्रिज, ग्रामीण हाट, जेन गार्डन, कैफेटेरिया और बच्चों के खेलने का जोन जैसी सुविधाएं होंगी। गंगा तट पर महर्षि विश्वामित्र की आदमकद प्रतिमा और “सिद्धाश्रम म्यूजियम” पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण होंगे। दूषित जल और कचरे के निस्तारण के लिए मिनी एसटीपी और बायो-रेमेडिएशन तकनीक का उपयोग किया जाएगा।
इसी क्रम में मंत्री ने हाल ही में रोहतास जिले के पौराणिक स्थल बाबा गुप्ताधाम में 14.91 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली “गुप्ताधाम ईको-पर्यटन विकास योजना” का शिलान्यास भी किया। इस योजना के तहत दुकानों का उन्नयन, नए प्रवेश द्वार, श्रद्धालुओं के लिए धर्मशाला, खान-पान क्षेत्र, शौचालय और बिजली-पानी की व्यवस्था विकसित की जाएगी। शिवलिंग का लाइव टेलिकास्ट बड़े एलईडी स्क्रीन पर होगा और सभी व्यवस्थाएं सौर ऊर्जा से संचालित होंगी।
इसके अलावा, हाल ही में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ सुनील कुमार ने कैमूर जिले के मां मुण्डेश्वरी धाम परिसर के जिर्णोद्धार कार्य का शिलान्यास किया। इसके तहत मंदिर तक जाने वाले रास्ते का चौड़ीकरण किया जाएगा। इसके साथ ही रोहतास के दुर्गावती जलाशय स्थित करमचट डैम में बिहार की पहली बोटहाउस कैंप परियोजना का शुभारंभ भी किया गया। इस बोटहाउस में पर्यटकों के लिए एसी युक्त कमरे के साथ किचन और 10 लोगों के बैठने की क्षमता है।
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पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ सुनील कुमार ने कहा कि इसके पीछे हमारा उद्देश्य धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देना है क्योंकि हमारा मानना है कि धार्मिक पर्यटन क्षेत्र लॉंग लास्टिंग होते हैं। लोगों की आस्था को देखते हुए इसमें बहुत काम करने की जरूरत है। हम बिहार के अलग-अलग क्षेत्रों में भी कई योजनाएं शुरू करने वाले हैं ताकि रिजनल इम्बैलेंस ना हो। राजगीर में हमारे विभाग ने बहुत काम किया है जहां का रिजल्ट भी काफी अच्छा देखने को मिल रहा है। इसी से प्रेरित होकर कई अन्य जगहों पर भी विकास करने का प्रयास किया जा रहा है।