नेपाल में हाल ही में हुए विरोध प्रदर्शनों पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए निवर्तमान प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने कहा है कि मृतक युवा प्रदर्शनकारियों की मौत एक साज़िश थी। संविधान दिवस पर एक फेसबुक पोस्ट साझा करते हुए ओली ने स्पष्ट किया कि हिंसा कई घुसपैठियों द्वारा भड़काई गई थी, सरकार ने इस संबंध में कोई आदेश नहीं दिया था, और हमारी पुलिस के पास ऐसे स्वचालित हथियार नहीं थे। हिंसा का मुख्य कारण षड्यंत्रकारियों की अवैध घुसपैठ थी, जिसके परिणामस्वरूप हमारे कई युवाओं को अपनी जान गंवानी पड़ी। सरकार ने प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने का कोई आदेश नहीं दिया था।
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फेसबुक पर एक पोस्ट में कहा कि मेरे पद से इस्तीफा देने के बाद सिंह दरबार सचिवालय और उच्चतम न्यायालय को आग लगा दी गई, नेपाल का नक्शा जला दिया गया और कई महत्वपूर्ण सरकारी इमारतों को आग लगा दी गई। उन्होंने कहा कि मैं इन घटनाओं के पीछे की साजिशों के बारे में विस्तार से नहीं बताना चाहता, समय खुद ही सब बता देगा। ओली ने संविधान लागू करते समय देश के सामने आई चुनौतियों को भी याद किया। उन्होंने कहा कि संविधान को सीमा नाकेबंदी और राष्ट्रीय संप्रभुता के विरुद्ध चुनौतियों के बीच लागू किया गया। ओली ने कहा कि नेपाल की सभी पीढ़ियों को एकजुट होना होगा – हमारी संप्रभुता पर हमले का सामना करने और हमारे संविधान की रक्षा करने के लिए।
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उन्होंने नौ सितंबर को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके तुरंत बाद सैकड़ों आंदोलनकारी उनके कार्यालय में घुस गए तथा आठ सितंबर को विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस कार्रवाई में कम से कम 19 लोगों की मौत के लिए उनके इस्तीफे की मांग करने लगे। आठ और नौ सितंबर को कथित भ्रष्टाचार तथा सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ हुए हिंसक प्रदर्शनों के दौरान तीन पुलिसकर्मियों सहित 72 लोग मारे गए थे।