Friday, August 1, 2025
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नेहरू की गलतियों को मोदी सरकार ने सुधारा, राज्यसभा में बोले विदेश मंत्री जयशंकर, खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने राज्यसभा में कहा कि पहलगाम हमला पूरी तरह अस्वीकार्य, लक्ष्मण रेखा लांघी गई। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि दोषियों को जवाबदेह ठहराना और पीड़ितों के लिए न्याय सुनिश्चित करना आवश्यक था। सदन में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर विशेष चर्चा में हिस्सा लेते हुए जयशंकर ने कहा कि मैं उनको कहना चाहता हूं, वो कान खोलके सुन ले। 22 अप्रैल से 16 जून तक, एक भी फोन कॉल राष्ट्रपति ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी के बीच में नहीं हुआ। 
 

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सिंधु जल संधि निलंबित किए जाने पर जयशंकर ने कहा खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते। उन्होंने कहा कि सिंधु जल संधि कई मायनों में एक अनोखा समझौता है। मैं दुनिया में किसी भी ऐसे समझौते के बारे में नहीं सोच सकता जहाँ किसी देश ने अपनी प्रमुख नदियों को उस नदी पर अधिकार के बिना दूसरे देश में प्रवाहित करने की अनुमति दी हो। इसलिए यह एक असाधारण समझौता था और, जब हमने इसे स्थगित कर दिया है, तो इस घटना के इतिहास को याद करना ज़रूरी है। कल मैंने लोगों को सुना, कुछ लोग इतिहास से असहज हैं। वे ऐतिहासिक बातों को भुला देना पसंद करते हैं। शायद यह उन्हें शोभा नहीं देता, वे केवल कुछ बातों को याद रखना पसंद करते हैं।
एस जयशंकर ने साफ तौर पर कहा कि सिंधु जल संधि तब तक स्थगित रहेगी जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देना पूरी तरह बंद नहीं कर देता… खून और पानी एक साथ नहीं बहेंगे। मोदी सरकार ने सिंधु जल संधि निलंबित कर नेहरू की नीतियों की गलतियों को सुधारा। उन्होंने कहा कि पिछले दशक में हम आतंकवाद को वैश्विक एजेंडे पर रखने में सफल रहे हैं… चाहे वह ब्रिक्स हो, एससीओ हो, क्वाड हो या द्विपक्षीय स्तर पर हो। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि तहव्वुर राणा, जो 26 साल से वांछित था, आखिरकार मोदी सरकार द्वारा वापस लाया गया और आज इस देश में मुकदमों का सामना कर रहा है। 
विदेश मंत्री ने आगे कहा कि मैं आपको बताता हूँ कि पिछले एक दशक में क्या बदलाव आया है। हम आतंकवाद को हर वैश्विक एजेंडे में शामिल करने में कामयाब रहे हैं। आज अगर आतंकवाद वैश्विक एजेंडे में है, तो यह मोदी सरकार के प्रयासों की ही बदौलत है। हम मसूद अज़हर और अब्दुल रहमान मक्की जैसे दो कुख्यात आतंकवादियों को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की पाबंदी में शामिल करवाने में कामयाब रहे। कुछ साल पहले, जब हम सुरक्षा परिषद के सदस्य थे, तब हम मुंबई के ताज होटल में हुए आतंकवादी हमले के स्थल पर सुरक्षा परिषद की बैठक आयोजित करने में कामयाब रहे थे। 
 

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उन्होंने कहा कि इसका भी बहुत बड़ा असर हुआ था… हम द्विपक्षीय समझौतों और आपसी समझ के ज़रिए, प्रमुख देशों से आतंकवादियों को वापस लाने में कामयाब रहे, जिन्हें भारत वापस भेज दिया गया है। मैं आपको याद दिला दूँ कि 26/11 के मुंबई हमले में वांछित तहव्वुर हुसैन राणा को मोदी सरकार आखिरकार भारत वापस ला पाई है। उन्होंने कहा कि हम संयुक्त राष्ट्र से यह मान्यता प्राप्त करने में सफल रहे कि द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा का प्रतिनिधि है। भारतीय कूटनीति ने सफलतापूर्वक TRF को अमेरिका से आतंकवादी संगठन घोषित करवाया। हमने संदेश दिया कि भारत मध्यस्थता के लिए तैयार नहीं है, हम परमाणु ब्लैकमेल स्वीकार नहीं करेंगे।
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