Saturday, May 31, 2025
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न्यायालय ने चांदनी चौक में घरों और व्यावसायिक संपत्तियों को ध्वस्त करने की कार्रवाई पर रोक लगाई

उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी के चांदी चौक के फतेहपुरी क्षेत्र में आवासीय और व्यावसायिक संपत्तियों को ध्वस्त करने की कार्रवाई पर रोक लगा दी।
शीर्ष अदालत ने साथ ही दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को फटकार भी लगाई।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने एक हस्तक्षेपकर्ता द्वारा प्रस्तुत क्षेत्र की तस्वीरों की जांच की और वाणिज्यिक परिसरों के निर्माण को रोकने में असमर्थ होने के लिए एमसीडी को फटकारा।

शीर्ष अदालत ने एमसीडी को सभी विवरणों के साथ स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। पीठ ने स्पष्ट किया कि ऐसा नहीं किए जाने पर अवमानना ​​कार्रवाई की जाएगी या यह निष्कर्ष निकलेगा कि उसकी बिल्डरों के साथ मिलीभगत है।

पीठ ने आदेश दिया, ‘‘इस बीच, आवासीय भवनों के ध्वस्तीकरण और वाणिज्यिक परिसरों के निर्माण और उनमें बदलाव पर रोक लगाई जाती है।’’
एमसीडी का पक्ष रखने के लिए पेश हुए अधिवक्ता ने कहा कि अदालत के आदेश के अनुपालन में एक टीम ने क्षेत्र का दौरा किया और पूरे परिसर तथा आसपास के क्षेत्रों का निरीक्षण कर रिपोर्ट प्रस्तुत की।

उन्होंने कहा कि छुट्टियों के कारण रिपोर्ट रिकॉर्ड में नहीं रखी जा सकी तथा आश्वासन दिया कि सभी अवैध निर्माण हटा दिए गए हैं।
शीर्ष अदालत एक याचिकाकर्ता की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने दावा किया था कि कथित तौर पर नगर निगम अधिकारियों की मिलीभगत से क्षेत्र में अवैध निर्माण कार्य चल रहा है।

पीठ ने उनसे कुछ स्वतंत्र वास्तुकारों और सिविल इंजीनियरों के नाम सुझाने को कहा, जो निरीक्षण के लिए मौके पर जा सकें और अदालत को रिपोर्ट सौंप सकें।
शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘हम मौके का स्वतंत्र मुआयना चाहते हैं क्योंकि हम एमसीडी अधिकारियों की रिपोर्ट पर भरोसा नहीं कर सकते।’’

पीठ ने इसी के साथ मामले की अगली सुनवाई के लिए 23 मई की तारीख तय की।
शीर्ष अदालत ने 17 फरवरी को दिल्ली के व्यस्त चांदनी चौक इलाके में कथित अवैध निर्माण और इसे रोकने में एमसीडी की विफलता की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने का आदेश देने पर विचार किया था।

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