केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने शनिवार को परिसीमन के मुद्दे पर भाजपा नीत केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि बिना किसी परामर्श के अचानक की गई प्रक्रिया किसी संवैधानिक सिद्धांत से प्रेरित नहीं है, बल्कि संकीर्ण राजनीतिक हितों से प्रेरित है। मुख्यमंत्री ने यह बयान परिसीमन के मुद्दे पर पहली संयुक्त कार्रवाई समिति की बैठक के दौरान दिया, जिसे तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने बुलाया था। बैठक में विजयन और स्टालिन के अलावा पंजाब के सीएम भगवंत मान, तेलंगाना के सीएम ए रेवंत रेड्डी, कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार और वरिष्ठ बीआरएस नेता केटी रामाराव भी शामिल हुए।
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विजयन ने कहा कि लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन का प्रस्ताव हमारे सिर पर डैमोकल्स (खतरे) की तलवार की तरह लटक रहा है। विभिन्न रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार बिना किसी परामर्श के परिसीमन प्रक्रिया में आगे बढ़ रही है। यह अचानक उठाया गया कदम किसी संवैधानिक सिद्धांत या लोकतांत्रिक अनिवार्यता से प्रेरित नहीं है, बल्कि संकीर्ण राजनीतिक हितों से प्रेरित है। विजयन ने यह भी तर्क दिया कि यदि परिसीमन पूरी तरह जनसंख्या के आधार पर किया गया तो केरल और अन्य दक्षिणी राज्यों को इससे नुकसान होगा।
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एएनआई के अनुसार, केरल के सीएम ने कहा कि यदि जनगणना के बाद परिसीमन प्रक्रिया शुरू की जाती है, तो इससे उत्तरी राज्यों की सीटों की संख्या में बड़ी वृद्धि होगी, जबकि संसद में दक्षिणी राज्यों की सीटों की संख्या में उल्लेखनीय कमी आएगी। यह भाजपा के लिए फायदेमंद होगा क्योंकि उत्तर में उनका प्रभाव अधिक है। यदि परिसीमन पूरी तरह से जनसंख्या के आधार पर किया जाता है, तो केरल और अन्य दक्षिणी राज्यों को नुकसान होगा क्योंकि हम 1973 से अपनी जनसंख्या कम कर रहे हैं जब पिछला परिसीमन किया गया था जिसमें लोकसभा में सीटों की संख्या पुनर्गठित की गई थी।