बेंजामिन नेतन्याहू ने डोनाल्ड ट्रम्प से कहा कि वह उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित करेंगे। दोनों नेताओं ने इजरायल और ईरान के बीच छिड़े वॉर और ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर अमेरिकी अटैक के बाद पहली बार मुलाकात की है ट्रम्प से उम्मीद की जा रही थी कि वह नेतन्याहू पर गाजा में हमास के खिलाफ इजरायल के 21 महीने पुराने युद्ध में संघर्ष विराम के लिए सहमत होने का दबाव डालेंगे, इस हमले की मानवीय लागत पर आक्रोश के बीच जिसमें लगभग 60,000 मौतें हुई हैं, जिनमें से अधिकांश फिलिस्तीनी हैं। नेतन्याहू ने नोबेल समिति को सौंपे जाने वाला नामांकन पत्र ट्रंप को देते हुए कहा हम जब बात कर रहे हैं, तो वह (ट्रंप) एक के बाद एक देश और क्षेत्र में शांति स्थापित कर रहे हैं। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया जब इजराइली नेता नेतन्याहू, ट्रंप और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपतियों पर ईरान के परमाणु कार्यक्रम के खिलाफ सैन्य कार्रवाई करने का वर्षों से दबाव डालते रहे हैं। ट्रंप ने अमेरिकी सेना को तीन प्रमुख ईरानी परमाणु स्थलों पर बम गिराने और टॉमहॉक मिसाइल की बौछार करने का आदेश दिया था। नेतन्याहू की व्हाइट हाउस की इस साल तीसरी यात्रा है। दोनों नेताओं ने आशा व्यक्त की कि ईरान में उनकी सफलता पश्चिम एशिया में एक नए युग की शुरुआत करेगी।
इसे भी पढ़ें: Israel–Hamas War: व्हाइट हाउस में सीजफायर पर डील, नेतन्याहू-ट्रंप की बैठक के बाद क्या गाजा में युद्ध विराम समझौता हो जाएगा?
ईरान के साथ एक हफ्ते में बैठक
ट्रंप ने कहा ति मुझे लगता है कि पश्चिम एशिया में चीजें बहुत हद तक सुलझ जाएंगी। उन्होंने कहा कि ईरान उसके परमारणु कार्यक्रम को लेकर वार्ता फिर से शुरू करना चाहता है लेकिन ईरान ने इसकी पुष्टि नहीं की है। ट्रंप के साथ मौजूद पश्चिम एशिया मामलों के लिए अमेरिकी दूत स्टीव विटकॉफ ने कहा कि ईरान के साथ बैठक संभवतः एक सप्ताह में होगी। ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने प्रकाशित एक साक्षात्कार में कहा था कि अमेरिकी हवाई हमलों से उनके देश की परमाणु सुविधाओं को इतना अधिक नुकसान पहुंचा है कि ईरानी अधिकारी विनाश की समीक्षा अभी तक कर रहे हैं।
इसे भी पढ़ें: इजरायली प्रधानमंत्री Benjamin Netanyahu ने Donald Trump को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया
मुनीर भी व्हाइट हाउस की रोटी खाकर ट्रंप के गुण गाने लगे
कैबिनेट रूम में हुई इस बंद कमरे की मुलाकात के बाद एक औपचारिक लंच का भी आयोजन किया गया। वहीं पत्रकारों से बात करते हुए ट्रंप ने न केवल पाकिस्तानी आर्मी चीफ की तारीफ की बल्कि ये तक कह दिया कि उनसे मिलकर मैं सम्मानित महसूस कर रहा हूं। ट्रंप ने कहा कि मैं उन्हें यहां इसलिए बुलाना चाहता था कि मैं युद्ध न करने, संघर्ष खत्म करने के लिए उनका शुक्रिया अदा करना चाहता हूं। यह पहली बार था जब कोई अमेरिकी राष्ट्रपति पाकिस्तान के सेना प्रमुख से लंच मीटिंग कर रहा था। मुनीर ने ट्रंप को पारस्परिक रूप से सुविधाजनक तारीख पर पाकिस्तान आने का निमंत्रण भी दिया। लेकिन इससे भी चौंकाने वाला कदम वो रहा जब पाकिस्तान ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर घोषणा की है कि वह 2026 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को नामित कर रहा है।
नोबल की चाहत में ट्रंप का दर्द
नोबेल पुरस्कार न मिलने का दर्द ट्रंप खुलकर सार्वजनिक मंचों पर साझा कर चुके हैं। ट्रंप ने कहा कि वे कई उपलब्धियों के लिए नोबेल शांति पुरस्कार के हकदार हैं। ट्रंप ने कहा कि मुझे यह चार या पांच बार मिलना चाहिए था। कांगो और रवांडा में समझौता करवाया लेकिन मुझे नोबल शांति पुरस्कार नहीं मिलेगा। इसके साथ ही ट्रंप ने कहा कि मैंने भारत और पाकिस्तान युद्ध रुकवाने के लिए भी नोबल पुरस्कार नहीं मिलेगा। सार्बिया और कोसोवो के बीच युद्ध रुकवाया लेकिन इसके लिए भी मुझे नोबल शांति पुरस्कार नहीं मिलने वाला है। मिस्र और इथोपिया के बीच शांति बनाए रखी। लेकिन मुझे नोबल पुरस्कार फिर भी नहीं दिया जाएगा। मुझे मीडिल ईस्ट में अब्राहम समझौते के लिए भी शांति पुरस्कार नहीं मिलेगा। ट्रंप ने आखिर में झल्लाते हुए कहा कि मैं कुछ भी कर लूं, लेकिन मुझे नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिलेन वाला है। रूस, यूक्रेन, ईरान-इजरायल के मामले में भी मुझे नोबल शांति पुरस्कार नहीं मिला।