दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को एक न्यायाधिकरण के उस आदेश के खिलाफ पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की याचिका को विचारणीय माना, जिसमें केंद्र द्वारा इस समूह पर लगाए गए पांच साल के प्रतिबंध को बरकरार रखा गया था।
मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने केंद्र को नोटिस जारी कर पीएफआई की याचिका पर छह सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा।
अदालत ने पीएफआई को भी अपना प्रत्युत्तर दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया और मामले की अगली सुनवाई 20 जनवरी, 2026 के लिए सूचीबद्ध कर दी।
पीठ ने अपना आदेश सुनाते हुए कहा, ‘‘उपर्युक्त के मद्देनजर, हम मानते हैं कि इस न्यायालय को यूएपीए अधिनियम की धारा 4 के तहत पारित न्यायाधिकरण के आदेश के खिलाफ संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत दायर एक रिट याचिका पर विचार करने और उसे बनाए रखने का अधिकार है… इस प्रकार हम इस याचिका को विचारणीय मानते हैं।’’
गत 28 अगस्त को, उच्च न्यायालय ने पीएफआई की याचिका की विचारणीयता के मुद्दे पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
पीएफआई ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम न्यायाधिकरण के 21 मार्च, 2024 के फैसले को चुनौती दी, जिसमें केंद्र के 27 सितंबर, 2022 के प्रतिबंध आदेश की पुष्टि की गई थी।
केंद्र ने कहा कि याचिका विचारणीय नहीं है क्योंकि यूएपीए न्यायाधिकरण की अध्यक्षता उच्च न्यायालय के एक वर्तमान न्यायाधीश कर रहे हैं और इसलिए इस आदेश को भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत चुनौती नहीं दी जा सकती।
केंद्र ने आईएसआईएस जैसे वैश्विक आतंकवादी संगठनों के साथ कथित संबंधों और देश में सांप्रदायिक नफरत फैलाने की कोशिश के लिए पीएफआई पर पांच साल का प्रतिबंध लगा दिया।
सरकार ने पीएफआई और उसके सहयोगियों, संबद्ध संगठनों या मोर्चों को ‘गैरकानूनी संगठन’ घोषित किया, जिनमें रिहैब इंडिया फाउंडेशन, कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया, ऑल इंडिया इमाम काउंसिल, नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन, नेशनल वीमन्स फ्रंट, जूनियर फ्रंट, एम्पॉवर इंडिया फाउंडेशन और रिहैब फाउंडेशन, केरल शामिल हैं।
संगठन पर प्रतिबंध लगाने वाली अधिसूचना में कहा गया है कि केंद्र का दृढ़ मत है कि पीएफआई और उसके सहयोगियों, सम्बद्ध संगठनों या मोर्चों को यूएपीए के तहत तत्काल प्रभाव से ‘गैरकानूनी संगठन’ घोषित करना आवश्यक है।
सितंबर 2022 में कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा छापेमारी और अखिल भारतीय स्तर पर की गई कार्रवाई में पीएफआई से कथित रूप से जुड़े 150 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया या गिरफ्तार किया गया।