मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और एक ज्ञापन सौंपकर केंद्र से सिंचाई, पेयजल आपूर्ति, बाढ़ मुआवज़ा, गन्ना मूल्य निर्धारण और रायचूर में एम्स की स्थापना के लंबे समय से लंबित अनुरोध से जुड़े लंबित मुद्दों पर कार्रवाई करने का आग्रह किया। मुलाकात के बाद पत्रकारों से बात करते हुए, सिद्धारमैया ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री से जल-संबंधी कई परियोजनाओं को मंज़ूरी देने में मदद करने का अनुरोध किया।
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उन्होंने समाथोलाना बैराज परियोजना के लिए मंज़ूरी मांगी और अनुरोध किया कि केंद्रीय जल आयोग को इस परियोजना की प्रगति के लिए आवश्यक निर्णय लेने का निर्देश दिया जाए। उन्होंने कृष्णा जल विवाद न्यायाधिकरण के दूसरे फ़ैसले की राजपत्र अधिसूचना जारी करने की भी माँग की, जिस पर उन्होंने कहा कि एक दशक से कार्रवाई का इंतज़ार है। सिद्धारमैया ने केंद्र से भद्रा ऊपरी नहर परियोजना के लिए ₹5,300 करोड़ जारी करने का भी अनुरोध किया, जिसकी घोषणा पहले केंद्रीय बजट में की जा चुकी थी।
गन्ना मूल्य पर सिद्धरमैया की मांग उत्तर कर्नाटक में गन्ना खरीद मूल्य में वृद्धि की मांग को लेकर किसानों के विरोध प्रदर्शन के बीच आई है।
मुख्यमंत्री ने मोदी को दिए ज्ञापन में बाढ़ राहत के लिए 2,100 करोड़ रुपये से अधिक की राशि जारी करने तथा महत्वपूर्ण सिंचाई परियोजनाओं को मंजूरी देने समेत राज्य की कई पुरानी मांगों को उठाया।
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मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया, ‘‘केंद्रीय वित्तीय हस्तांतरण और आपदा निधि को लेकर राज्य की मौजूदा चिंताओं के बीच हुई इस मुलाकात में प्रधानमंत्री को सौंपे गए दस्तावेज़ में उल्लिखित पांच महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर चर्चा हुई।’’
प्रधानमंत्री को दिए अपने ज्ञापन में, सिद्धरमैया ने गन्ना मूल्य निर्धारण संकट के लिए एक स्थायी समाधान की मांग की।
मुख्यमंत्री ने रायचूर में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) स्थापित करने की मांग की।
सिद्धरमैया ने मोदी को बताया कि राज्य ने पहले ही एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है, भूमि की पहचान कर ली है, तथा राष्ट्रीय संस्थान के लिए बुनियादी पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के वास्ते रायचूर में एक सरकारी मेडिकल कॉलेज की स्थापना कर दी है।
इसके अलावा रायचूर में एम्स की कर्नाटक की माँग दोहराते हुए, सिद्धारमैया ने कहा कि ज़िला स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा और आय के मामले में पिछड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि यह संस्थान कल्याण कर्नाटक क्षेत्र के समुदायों, जिनमें दलित और पिछड़े वर्ग की एक बड़ी आबादी शामिल है, की सेवा करेगा। ज्ञापन में कहा गया है कि कर्नाटक ने पहले ही आवश्यक परियोजना रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है और चिकित्सा संस्थान की स्थापना के लिए आवश्यक भूमि, संपर्क और प्रशासनिक सहायता प्राप्त कर ली है।

