उत्तर प्रदेश सरकार ने फतेहपुर की नूरी जामा मस्जिद को लेकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय में यह शपथ पत्र दिया है कि इस मस्जिद में और ध्वस्तीकरण की जरूरत नहीं है। इसके साथ अदालत ने मस्जिद की प्रबंधन समिति की याचिका का निपटारा कर दिया।
न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन और न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने याचिका का निपटारा करते हुए याचिकाकर्ता को उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता, 2006 की धारा 24 के तहत मस्जिद की चाहरदीवारी के चिन्हीकरण के लिए आवेदन करने की छूट दी।
अदालत ने निर्देश दिया कि यदि याचिकाकर्ता की ओर से आवेदन किया जाता है तो आवेदन करने की तिथि से निर्धारित अवधि के अंदर चिन्हीकरण किया जाएगा।
फतेहपुर के ललौली गांव में स्थित नूरी जामा मस्जिद की प्रबंधन समिति ने यह आशंका व्यक्त की थी कि 19वीं सदी का यह ढांचा ढहा दिया जाएगा।
सुनवाई के दौरान अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने राज्य सरकार का रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि ध्वस्तीकरण की कार्रवाई का निर्देश केवल अतिक्रमण हटाने के लिए दिया गया था।
उन्होंने कहा कि जमीन पर जो भी अतिक्रमण था, उसे पहले ही हटा दिया गया है।

