प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान 29 जनवरी की रात भगदड़ मचने से कई लोगों की मौत हो गई, जबकि दर्जनों लोग घायल हुए। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इस हादसे में 30 लोगों की जान गई और 60 से अधिक लोग घायल हुए। हालांकि, अपुष्ट सूत्रों के मुताबिक मृतकों की संख्या 40 से 50 के बीच हो सकती है।
कैसे मची भगदड़?
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, भगदड़ तब मची जब श्रद्धालु संगम तक पहुंचने के लिए बैरिकेड्स तोड़कर आगे बढ़ने लगे। देखते ही देखते लोग एक-दूसरे के ऊपर गिरने लगे, जिससे स्थिति बेकाबू हो गई। महाकुंभ में मौजूद सौरभ सिंह ने बताया,
“करीब 1:45 बजे रात को मैंने देखा कि लोग भगदड़ में दबते चले जा रहे थे। कुछ ही देर में सैकड़ों लोग ज़मीन पर पड़े थे।”
इसी तरह, इंद्र शेखर, जो हादसे के कुछ देर बाद मौके पर पहुंचे, ने बताया,
“सैकड़ों लोगों को स्ट्रेचर पर ले जाया जा रहा था। कई एंबुलेंस घायलों को अस्पताल पहुंचा रही थीं। यदि भीड़ नियंत्रण के लिए पर्याप्त पुलिस बल होता और बैरिकेडिंग की बेहतर व्यवस्था की जाती, तो यह हादसा टाला जा सकता था।”
प्रशासन पर उठे सवाल
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भगदड़ तब हुई जब श्रद्धालु बैरिकेड के ऊपर से फांदने की कोशिश कर रहे थे। वहीं, कई लोगों का आरोप है कि वीआईपी मूवमेंट के कारण नदी तक जाने वाले 28 पीपा पुलों को बंद कर दिया गया, जिससे भीड़ और अधिक बेकाबू हो गई।
धार्मिक आयोजनों में भगदड़ का इतिहास
यह पहला मौका नहीं है जब धार्मिक आयोजनों में भगदड़ से जान-माल का नुकसान हुआ है। इससे पहले भी कई बार इसी तरह की घटनाएं हुई हैं—
- 2003, 2010 और 2013 के कुंभ मेलों में सैकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है।
- जुलाई 2024 में उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक स्वयंभू बाबा के सत्संग में भगदड़ से 120 से ज्यादा लोगों की जान गई।
विशेषज्ञों के अनुसार, भगदड़ भीड़ नियंत्रण की विफलता, अफवाहों और घबराहट के कारण होती है।
भीड़ नियंत्रण के लिए क्या थे इंतजाम?
महाकुंभ में अनुमानित 40-45 करोड़ श्रद्धालुओं के आगमन को देखते हुए सुरक्षा के कई इंतजाम किए गए थे, जिनमें शामिल थे—
2700 से अधिक CCTV कैमरे, जिनमें 300 से अधिक AI से लैस थे।
ड्रोन सर्विलांस भीड़ नियंत्रण के लिए तैनात किए गए।
40,000 से अधिक पुलिसकर्मी व्यवस्था बनाए रखने के लिए तैनात किए गए।
श्रद्धालुओं को रियल-टाइम ट्रैकिंग के लिए कलाई में बैंड दिए गए।
तकनीक के बावजूद असफल रहा भीड़ नियंत्रण
पूर्व पुलिस अधिकारी यशोवर्धन आज़ाद का कहना है कि AI जैसी उन्नत तकनीकें भी भीड़ नियंत्रण में सफल नहीं रहीं। उन्होंने कहा,
“सिर्फ तकनीक से भीड़ को नियंत्रित नहीं किया जा सकता। इसके लिए नए सोच और तरीकों की जरूरत है।”
क्या किया जा सकता था?
भीड़ नियंत्रण विशेषज्ञों के अनुसार, हादसे को टालने के लिए—
- भीड़ को चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ाने की व्यवस्था होनी चाहिए थी।
- भीड़ घनत्व की सीमा तय कर उसे सख्ती से लागू किया जाना चाहिए था।
- श्रद्धालुओं को संगम तक पहुंचने के लिए ज्यादा मार्ग देने चाहिए थे।