डाउनिंग स्ट्रीट ने मंगलवार को घोषणा की कि यूनाइटेड किंगडम के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने सितंबर में होने वाली संयुक्त राष्ट्र महासभा से पहले एक फ़िलिस्तीनी राज्य को मान्यता देने की प्रतिबद्धता जताई है। स्टारमर ने अपने मंत्रिमंडल की एक विशेष बैठक में कहा कि गाज़ा में बिगड़ती मानवीय स्थिति और शांति प्रक्रिया की घटती संभावनाओं को देखते हुए इस स्थिति को आगे बढ़ाने का यही सही समय है। पॉलिटिको की एक रिपोर्ट के अनुसार, इज़राइल सरकार ने इस कदम को हमास के लिए इनाम बताकर तुरंत खारिज कर दिया, जबकि प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इसे तुष्टिकरण बताया। ब्रिटेन का यह रुख गाजा में भुखमरी से मरते बच्चों की तस्वीरों से उपजे आक्रोश और ब्रिटिश पीएम कीर स्टारमर पर लेबर बार्टी के सांसदों के दबाव के चलते सामने आया है। बीएम स्टारमर ने कहा था कि यह कदम एक व्यापक डी-राष्ट्र समाधान के हिस्से के तौर पर ही लिया जाना चाहिए, जो इजराइल और फिलिस्तीन दोनों के लिए थायी शांति सनिधिान करे।
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अब ब्रिटेन के 9 दलों के 250 से अधिक सांसदों ने पीएम स्टारमर और विदेश मंत्री डेविड लैमी को पत्र लिखकर फिलिस्तीन को मान्यता देने की मांग की है। लेबर सरकार के कई मंत्री भी इसके पक्ष में हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की स्कॉटलैंड यात्रा के दौरान उनसे मुलाकात के बाद पीएम स्टारमर ने गाजा के मुद्दे पर ब्रिटिश संसद का आपातकालीन सत्र बुलाया है। ब्रिटेन पहले ही इजराइल के 2 कट्टरपंथी मंत्रियों पर प्रतिबंध लगा चुका है और यूएन राहत एजेंसी की फंडिंग बहाल कर चुका है। इन कूटनीतिक कदमों से साफ है कि ब्रिटेन अब गाजा संकट में एक संतुलित, लेकिन निर्णायक भूमिका निभाने की दिशा में बढ़ रहा है।
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आपको बता दें कि फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने घोषणा की कि उनका देश फिलिस्तीन को एक राष्ट्र के रूप में मान्यता देगा। इजरायल के हमले के कारण खाद्यान्न एवं आवश्यक सामग्री की आपूर्ति के संकट से जूझ रहे गाजा में मौजूदा हालात को लेकर दुनिया भर के देशों में व्याप्त आक्रोश के बीच फ्रांस के इस फैसले को साहसिक कूटनीतिक कदम माना जा रहा है। मैक्रों ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा में इस फैसले को औपचारिक रूप देंगे। उन्होंने कहा कि आज सबसे जरूरी बात यह है कि गाजा में युद्ध रुके और आम नागरिकों की जान बचे।