बरेली में जुमे की नमाज से पहले प्रशासन ने इंटरनेट सेवाओं पर रोक लगा दी है। गुरुवार दोपहर से मोबाइल डेटा, ब्रॉडबैंड और एसएमएस सेवाएं निलंबित कर दी गईं, जो 4 अक्टूबर की दोपहर तीन बजे तक बंद रहेंगी। अधिकारियों का कहना है कि यह फैसला एहतियातन उठाया गया है ताकि किसी भी तरह की अशांति को रोका जा सके।
शहर और डिवीजन के चार जिलों में भारी पुलिस बल तैनात है। संवेदनशील क्षेत्रों में ड्रोन से लगातार निगरानी हो रही है और कई जगहों को पूरी तरह से घेर दिया गया है। इस वजह से मुख्य सड़कों पर सामान्य दिनों जैसी हलचल नहीं दिखाई दी।
प्रशासन ने एहतियातन कदम के तहत कुछ नेताओं को भी गृह नजरबंद किया है। भीम आर्मी प्रमुख और नागिना सांसद चंद्रशेखर आज़ाद को साहारनपुर में उनके घर पर रोका गया है, जबकि सांसद इमरान मसूद और पूर्व सांसद डॉ. Danish Ali को भी बाहर निकलने की अनुमति नहीं दी गई।
यह कार्रवाई पिछले सप्ताह हुए विवाद की पृष्ठभूमि में की जा रही है। उस समय “I Love Muhammad” जुलूस के दौरान हिंसा भड़क गई थी और पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा था। इस दौरान 80 से अधिक लोग गिरफ्तार किए गए थे, जिनमें इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के अध्यक्ष तौकीर रजा खान और उनके दो सहयोगी शामिल थे।
उधर, बरेली विकास प्राधिकरण ने मुस्लिम बहुल इलाकों में अवैध निर्माणों के खिलाफ अभियान शुरू किया है। प्राधिकरण उपाध्यक्ष मणिकंदन ए ने बताया कि जिन इमारतों का निर्माण नियमों के विरुद्ध हुआ है, उन्हें चिह्नित कर कार्रवाई की जाएगी। उनके मुताबिक यह कदम कानून तोड़ने वालों को संदेश देने और व्यवस्था कायम रखने के लिए जरूरी है।
धार्मिक नेताओं ने समुदाय से शांति और सामंजस्य बनाए रखने की अपील की है। ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रज़वी ने लोगों से अफवाहों से बचने को कहा। जमात रज़ा-ए-मुस्तफा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सलमान हसन खान ने भी सभी से प्रशासन का सहयोग करने का आग्रह किया।
चंद्रशेखर आज़ाद ने गृह नजरबंदी पर प्रतिक्रिया देते हुए आरोप लगाया कि सरकार पुलिस का इस्तेमाल विपक्षी आवाजों और पीड़ितों को दबाने के लिए कर रही है। उन्होंने पिछले सप्ताह हुई हिंसा की निष्पक्ष जांच की मांग की।
स्थानीय मस्जिदों में जुमे की नमाज दोपहर एक बजे से शुरू होगी। प्रशासन ने नमाज के दौरान शांति बनाए रखने के लिए व्यापक इंतजाम किए हैं। मौलाना रज़वी ने कहा कि शुक्रवार को पहले भी घटनाएं हो चुकी हैं, इसलिए सभी समुदायों की जिम्मेदारी है कि शहर की गंगा-जमुनी संस्कृति को किसी भी कीमत पर आंच न आने दी जाए।