बांग्लादेश में अंतरिम सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए उस विवादित नियम को औपचारिक रूप से रद्द कर दिया है, जिसके तहत सरकारी अधिकारियों को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना सहित वरिष्ठ महिला अधिकारियों को “सर” कहकर संबोधित करना अनिवार्य था। यह नियम शेख हसीना के लगभग 16 वर्षों के शासनकाल के दौरान प्रचलन में आया था।
अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार डॉ. यूनुस के नेतृत्व में यह निर्णय लिया गया। ढाका ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह फैसला ढाका में हुई सलाहकार परिषद की बैठक के बाद लिया गया। परिषद के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने फेसबुक पर बताया कि यह निर्देश “अनुचित” था और इसे अब रद्द कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि “सर” शब्द का उपयोग केवल पुरुष अधिकारियों के लिए होना चाहिए, लेकिन यह चलन महिला अधिकारियों के लिए भी अपनाया गया, जो स्पष्ट रूप से असामान्य और अनुचित है। यह आदेश न केवल शेख हसीना के लिए बल्कि अन्य उच्च पदस्थ महिला अधिकारियों के लिए भी लागू था।
इस फैसले के साथ-साथ, अंतरिम सरकार ने अन्य पुराने और अप्रासंगिक प्रोटोकॉल नियमों को भी समाप्त करने की घोषणा की है। सरकार अब वरिष्ठ अधिकारियों और लोक सेवकों को संबोधित करने के लिए एक उचित, सम्मानजनक और सामाजिक रूप से स्वीकार्य शब्द तय करने की दिशा में काम करेगी। इसके लिए एक समीक्षा समिति गठित की गई है, जिसकी अध्यक्षता सैयदा रिजवाना हसन करेंगी। वह वर्तमान में ऊर्जा, सड़क, रेलवे, पर्यावरण और जल संसाधन मामलों की सलाहकार हैं। समिति यह सुनिश्चित करेगी कि सरकारी संचार में प्रयुक्त शब्दावली बांग्लादेश के सांस्कृतिक मूल्यों और सामाजिक मर्यादाओं के अनुरूप हो। महिला अधिकारियों को “सर” कहने की परंपरा की लंबे समय से आलोचना होती रही है, और यह निर्णय इस दिशा में एक महत्वपूर्ण बदलाव के रूप में देखा जा रहा है।