दुनिया के सबसे बड़े युद्ध में एक खिलाड़ी ऐसा है, जिसकी भूमिका अब तक कई देशों ने अनदेखी की है। लेकिन अब पूरी दुनिया उसकी ताकत और कूटनीति को मान रही है, केवल युद्ध ही नहीं बल्कि विभिन्न क्षेत्रों में भी, वो देश कोई और नहीं बल्कि हमारा हिंदुस्तान है। संयुक्त राष्ट्र में भारत की अहमियत पर जोर डाला जाता है। फिलिस्तीन इजरायल के हमलों को रुकवाने के लिए भारत से उम्मीद जताई जाती है। ट्रंप की पूरी सरकार कहती है कि रूस यूक्रेन का युद्ध अगर भारत चाहे तो रुक जाएगा। यूरोप भारत के साथ व्यापार बढ़ाकर दोस्ती गहरा करने में लगा है। ये बस ऐसे ही तो नहीं है, इससे भारत की अहमियत का पता चल रहा है। अब तो फिनलैंड के राष्ट्रपति ने भी ये साफ कह दिया है कि यूक्रेन युद्ध के समाधान के लिए भारत का होना जरूरी है। यानी भारत को नजरअंदाज नहीं कर सकते।
इसे भी पढ़ें: भारत के लगातार इनकार के बावजूद ट्रंप के मंत्री मार्को रुबियो का दावा, ट्रंप ने सुलझाया भारत-पाकिस्तान संघर्ष
ये तो हम सभी ने देख लिया कि रूस और यूक्रेन के युद्ध को रोक पाने में अमेरिका असमर्थ है। फिनलैंड के राष्ट्रपति एलेक्सजेंडर स्टर्ब कह रहे हैं कि भारत इसे रोक सकता है। फिनलैंड के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर स्टब ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा है कि वो भारत को चीन और रूस के साथ नहीं रखते हैं। उन्होंने चीन और रूस को एक साथ रखा और उन्हें बहुत हद तक एक समान बताया, लेकिन उन्होंने कहा कि भारत, चीन और रूस के जैसा नहीं है, इसीलिए पश्चिमी देशों को भारत के साथ और मजबूती से संबंध बनाने चाहिए।
इसे भी पढ़ें: नाटो की मदद से यूक्रेन अपने मूल स्वरूप को वापस पाने की स्थिति में: ट्रंप
वहाँ एक बहु-सदिश विदेश नीति अपनाई जा रही है। मुझे लगता है, बेशक, रूस और चीन का सीधा संबंध है। 1990 के दशक की शुरुआत में चीन और रूस की अर्थव्यवस्थाएँ एक ही आकार की थीं, लेकिन अब चीन दस गुना से भी ज़्यादा बड़ा है। स्टब ने कहा कि अपनी तेल खरीद, अपनी गैस खरीद, अपने तकनीकी आदान-प्रदान के साथ, यह रूस को युद्ध छेड़ने की संभावना देता है, इसलिए इसमें एक बहुत ही गहरा संबंध है। फिर, ज़ाहिर है, भारत के साथ, भारत यूरोपीय संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका का भी बहुत करीबी सहयोगी है, इसलिए मैं उन्हें एक ही श्रेणी में नहीं रखूँगा, लेकिन भारत स्पष्ट रूप से एक उभरती हुई महाशक्ति है। इसकी जनसांख्यिकी मज़बूत है। इसकी अर्थव्यवस्था इसके पक्ष में है और मैं हमेशा यह तर्क देता हूँ कि पश्चिमी देशों के लिए भारत के साथ जुड़ना और उनके साथ काम करना बहुत ज़रूरी है।
इसे भी पढ़ें: सैनिकों की जान बचाने को यूक्रेन की खास पहल, रूस के खिलाफ जेलेंस्की ने उतारे रोबोट
ये बयान न केवल भारत की बढ़ती वैश्विक महत्वकांक्षा का परिचायक बन गया बल्कि यूक्रेन संघर्ष के लिहाज से भारत की भूमिका को भी नई दिशा दे रहा है। भारत विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र और तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था के रूप में अब वैश्विक राजनीति में अपनी छवि को मजबूत कर चुका है, यही कारण है कि अब अमेरिका भी भारत को इग्नोर नहीं कर पा रहा है। परंपरागत रूप से भारत ने कई अंतरराष्ट्रीय संकटों में संतुलित, आजाद और विचारशील कूटनीतिक नीति अपनाई है।