क्या बिहार में नीतीश कुमार का दो दशक पुराना शासन जारी रहेगा, या राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव पार्टी की कमान संभालने के बाद अपनी पहली बड़ी चुनावी जीत हासिल करेंगे? इसका जवाब शुक्रवार को बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों के साथ ही मिल जाएगा, जिस पर सभी की निगाहें टिकी हैं। भाजपा, जदयू और लोजपा (रामविलास) वाला राजग एक और कार्यकाल के लिए सत्ता में आने की उम्मीद कर रहा है, जबकि विपक्षी दल महागठबंधन – जिसमें राजद, कांग्रेस और वामपंथी दल प्रमुख घटक हैं – अगली सरकार बनाने की उम्मीद कर रहा है। 2020 के बिहार चुनाव में जब नीतीश कुमार ने मामूली बहुमत के साथ सरकार बनाई थी, तब तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले गठबंधन को 12,000 से कुछ अधिक वोटों की कमी खली थी। इस चुनाव में प्रशांत किशोर भी एक बड़े फैक्टर हैं।
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रिकॉर्ड मतदान
दोनों चरणों में 38 जिलों के 7.4 करोड़ से ज़्यादा मतदाताओं ने 2,616 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करने के लिए वोट डाले। बिहार में ऐतिहासिक 67.13% मतदान हुआ – जो 1951 के बाद से सबसे ज़्यादा है। उल्लेखनीय है कि महिला मतदाताओं की भागीदारी 71.78% रही, जो पुरुष मतदाताओं के 62.98% मतदान से कहीं ज़्यादा थी। फिलहाल पूरे राज्य में निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या बिहार में सबसे लंबे समय तक शासन करने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार रिकॉर्ड पांचवां कार्यकाल हासिल कर पाएंगे।
निर्वाचन आयोग के अनुसार, राज्य के 38 जिलों में बनाए गए कुल 46 काउंटिंग सेंटरों पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। छह और 11 नवंबर को दो चरणों में हुए चुनाव में 7.45 करोड़ मतदाताओं ने 2,616 उम्मीदवारों का भाग्य तय किया था। आयोग के बयान के मुताबिक, ईवीएम और वीवीपैट मशीनों को मजबूत कमरों में दोहरे ताले की प्रणाली के तहत सुरक्षित रखा गया है और पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की जा रही है। मतगणना केंद्रों पर दो-स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था लागू है, जिसमें भीतरी घेरा केंद्रीय अर्धसैनिक बलों और बाहरी घेरा राज्य पुलिस के जिम्मे है। सभी मजबूत कमरे परिसरों में नियंत्रण कक्ष स्थापित किए गए हैं जिनमें वरिष्ठ जिला अधिकारी तैनात रहेंगे और संबंधित जिलों के सभी जिला चुनाव पदाधिकारियों तथा रिटर्निंग अधिकारियों को बार-बार निरीक्षण करने के निर्देश दिए गए हैं। लगभग सभी एग्जिट पोल ने जनता दल (यूनाइटेड) और भाजपा के गठबंधन राजग की बड़ी जीत का अनुमान लगाया है। तेजस्वी यादव ने इन अनुमानों को खारिज करते हुए कहा है कि महागठबंधन “बड़ी बहुमत” से सरकार बनाएगा।
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महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव ने दावा किया कि पार्टी कार्यकर्ता और जनता “मतगणना के दौरान किसी भी असंवैधानिक गतिविधि से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार” हैं। राजद के एक अन्य नेता सुनील कुमार सिंह ने चेतावनी दी कि “यदि 2020 की तरह मतगणना में बाधा डाली गई, तो सड़कों पर नेपाल जैसी स्थिति देखने को मिलेगी।” भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पलटवार करते हुए कहा कि राजद नेताओं के बयान उनकी “हताशा” को दर्शाते हैं, क्योंकि जनता ईवीएम में अपनी मुहर लगा चुकी है और “एक बार फिर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को सत्ता सौंपने का मन बना चुकी है।” प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने कहा कि वरिष्ठ नेता लगातार मतगणना केंद्रों पर तैनात कार्यकर्ताओं से संपर्क में हैं और उम्मीद है कि जिस तरह मतदान शांतिपूर्ण रहा, उसी तरह मतगणना का दिन भी शांतिपूर्ण रहेगा।

