Friday, February 7, 2025
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बिहार में बीजेपी की नई सियासी रणनीति: पिछड़ा-अतिपिछड़ा वर्ग पर फोकस

07 02 2025 Samrat Chaudhary Dili

पटना: बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आरजेडी और कांग्रेस की चिंता बढ़ा दी है। पार्टी ने अब जातिगत समीकरण साधने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग को संगठनात्मक नेतृत्व में महत्वपूर्ण स्थान दिया है।

बीजेपी का नया फोकस: पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग

भाजपा ने सरकारी योजनाओं में पिछड़ा और अति पिछड़ा समुदाय की भागीदारी बढ़ाने के साथ-साथ संगठनात्मक पदों पर भी इन्हें तरजीह दी है।

  • 50% से अधिक जिलों में पिछड़ा-अतिपिछड़ा समाज के नेता:
    पार्टी ने अपने संगठनात्मक जिलों में 50 प्रतिशत से अधिक जिलाध्यक्ष पदों पर पिछड़ा-अति पिछड़ा वर्ग के कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी दी है।
  • जातिगत संतुलन:
    बीजेपी ने गैर-यादव पिछड़ी जातियों को प्राथमिकता दी है। खासतौर पर वैश्य, कोईरी (कुशवाहा), धानुक, कुर्मी, और अन्य अति पिछड़ी जातियों को संगठन में मजबूत किया जा रहा है।

25 से अधिक जिलों में पिछड़ा-अतिपिछड़ा वर्ग को नेतृत्व

भाजपा के कुल 52 संगठनात्मक जिलों में से 46 जिलों में अध्यक्ष पद के चुनाव पूरे हो चुके हैं। इनमें से 25 से अधिक जिलों में पहली बार पिछड़ा-अति पिछड़ा समाज के कार्यकर्ताओं को जिलाध्यक्ष नियुक्त किया गया है।

  • पार्टी विधानसभा चुनाव में भी इसी जातिगत संतुलन को बनाए रखते हुए टिकट वितरण की योजना बना रही है।
  • इससे बीजेपी को गैर-यादव ओबीसी वोट बैंक को साधने में मदद मिलेगी।

छह जिलों में जिला अध्यक्ष नियुक्त करने को लेकर असमंजस

भाजपा का संगठनात्मक चुनाव खत्म हुए एक महीने हो चुके हैं, लेकिन अभी भी छह जिलों में जिलाध्यक्ष का ऐलान नहीं हो पाया है।

  • पटना (महानगर और ग्रामीण), सहरसा, जमुई, नालंदा और जहानाबाद में अध्यक्षों की नियुक्ति लंबित है।
  • कुछ मंडल कमेटियों का निर्वाचन भी अटका हुआ है।

बीजेपी के जिलाध्यक्षों की सूची (जाति आधारित प्रतिनिधित्व)

संगठनात्मक जिला जिलाध्यक्ष जाति
बगहा अंचित कुमार लल्ला कानू
बेतिया रुपक श्रीवास्तव कायस्थ
मोतिहारी पवन राज ब्राह्मण
रक्सौल अशोक कुमार पांडेय भूमिहार
ढाका सुनील कुमार सहनी मल्लाह
गोपालगंज संदीप गिरी अत्यंत पिछड़ा
सिवान पश्चिमी राहुल तिवारी ब्राह्मण
सिवान पूर्वी रंजीत कुमार कानू
वैशाली उत्तरी अजब लाल साह तेली
वैशाली दक्षिणी अजय कुशवाहा कोईरी
छपरा उत्तरी रंजीत सिवान भूमिहार
छपरा दक्षिणी ब्रजमोहन सिंह राजपूत
मुजफ्फरपुर पूर्वी विवेक कुमार वैश्य
मुजफ्फरपुर पश्चिमी हरिमोहन चौधरी भूमिहार
सीतामढ़ी मनीष कुमार रौनियार वैश्य
शिवहर नीरज सिंह राजपूत
मधुबनी प्रभाशु झा ब्राह्मण
झंझारपुर बच्चा कामत केउट
दरभंगा उत्तरी आदित्य नारायण ब्राह्मण
दरभंगा दक्षिणी विनय पासवान अनुसूचित जाति
बेगूसराय राजीव कुमार वर्मा कोईरी
समस्तीपुर उत्तरी नीलम सहनी मल्लाह
समस्तीपुर दक्षिणी शशीधर झा ब्राह्मण
खगड़िया शत्रुघ्न भगत कलवार वैश्य
नवगछिया मुक्तिनाथ निषाद मल्लाह
सुपौल नरेंद्र कुमार ऋषिदेव अनुसूचित जाति
कटिहार मनोज राय धानुक
अररिया आदित्य नारायण झा ब्राह्मण
मधेपुरा दीपक यादव यादव
पूर्णिया मनोज कुमार सिंह राजपूत
किशनगंज गोपाल मोहन सिंह अत्यंत पिछड़ा
भागलपुर संतोष कुमार साह स्वर्णकार
बांका ब्रजेश मिश्रा ब्राह्मण
मुंगेर अरुण पोद्दार वैश्य
लखीसराय दीपक कुमार भूमिहार
शेखपुरा रेशमा भारती यादव
नवादा अनिल मेहता कोईरी
गया पूर्वी विजय मांझी अनुसूचित जाति
गया पश्चिमी प्रेम कुमार चिंटू भूमिहार
अरवल धर्मेंद्र तिवारी ब्राह्मण
औरंगाबाद विजेंद्र चंद्रवंशी कहांर
रोहतास संतोष पटेल कुर्मी
कैमूर ओमप्रकाश पांडेय ब्राह्मण
बक्सर ओमप्रकाश भुवन राजपूत
भोजपुर दुर्गा राज कानू
बाढ़ शैलेन्द्र मुखिया धानुक

क्या है बीजेपी की रणनीति?

  • भाजपा ने बिहार की राजनीति में अपने जातिगत समीकरण को मजबूत करने के लिए गैर-यादव पिछड़ा वर्ग को प्राथमिकता दी है।
  • पार्टी ने सवर्ण, पिछड़ा, कुर्मी, कोईरी और अन्य अति पिछड़ी जातियों को संगठन में शामिल कर अपने जनाधार को विस्तार देने की कोशिश की है।
  • विधानसभा चुनाव में भी इसी रणनीति के तहत टिकट वितरण की संभावना जताई जा रही है।
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