उच्चतम न्यायालय ने तेलंगाना विधानसभा अध्यक्ष को निर्देश दिया कि वह सत्तारूढ़ कांग्रेस में शामिल होने वाले भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के 10 विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर तीन महीने में फैसला करें।
प्रधान न्यायाधीश बी. आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि राजनीतिक दलबदल राष्ट्रीय चर्चा का विषय रहा है और अगर इसे रोका नहीं गया तो इससे लोकतंत्र को नुकसान पहुंच सकता है।
पीठ ने भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के नेता पी. कौशिक रेड्डी की एक अपील स्वीकार कर ली, जिसमें विधानसभा अध्यक्ष को बीआरएस विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर शीघ्र निर्णय लेने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।
पीठ ने तेलंगाना उच्च न्यायालय की खंडपीठ के 22 नवंबर 2024 के फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें एकल न्यायाधीश के पूर्व आदेश में हस्तक्षेप किया गया था।
प्रधान न्यायाधीश ने फैसला पढ़ते हुए कहा, ‘‘ अयोग्यता की कार्यवाही अध्यक्ष को सौंपने का उद्देश्य अदालतों में होने वाली देरी से बचना है।’’
शीर्ष अदालत ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष दलबदल याचिकाओं पर फैसला सुनाते समय एक न्यायाधिकरण के रूप में कार्य करते हैं और इसलिए उन्हें संवैधानिक छूट प्राप्त नहीं होती। विस्तृत फैसले की प्रतीक्षा की जा रही है।
शीर्ष अदालत ने तीन अप्रैल को इस मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।