ऑपरेशन सिंदूर पर बहस में बोलते हुए कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने लोकसभा में कहा कि राजनाथ सिंह ने बहुत सारी जानकारी दी, लेकिन रक्षा मंत्री के रूप में उन्होंने कभी उल्लेख नहीं किया कि कैसे पाकिस्तान से आतंकवादी पहलगाम पहुंचे और 26 लोगों को मार डाला। राष्ट्र के हित में सवाल पूछना हमारा कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि हम आज राजनाथ सिंह से जानना चाहते हैं कि हमारे कितने लड़ाकू विमान गिराए गए। हमें यह बात सिर्फ़ जनता को ही नहीं, बल्कि अपने जवानों को भी बतानी होगी, क्योंकि उनसे भी झूठ बोला जा रहा है।
गौरव गोगोई ने कहा कि पूरा देश और विपक्ष पीएम मोदी का समर्थन कर रहा था। अचानक 10 मई को हमें पता चला कि युद्ध विराम हो गया है। क्यों? हम पीएम मोदी से जानना चाहते थे कि अगर पाकिस्तान घुटने टेकने को तैयार था, तो आप रुके क्यों, और किसके सामने आत्मसमर्पण किया? अमेरिकी राष्ट्रपति 26 बार कह चुके हैं कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान को युद्ध विराम के लिए मजबूर किया। उन्होंने कहा कि अगर कुछ राफेल विमान गिरे हैं, तो मुझे लगता है कि यह एक बड़ी क्षति है। देश जानना चाहता है कि पहलगाम हमले को 100 दिन बीत चुके हैं, लेकिन यह सरकार आतंकवादियों को न्याय के कटघरे में नहीं ला पाई है।
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कांग्रेस सांसद ने कहा कि हम प्रधानमंत्री से जानना चाहते हैं कि अगर पाकिस्तान वाकई घुटने टेकने को तैयार था तो आप क्यों रूके और किसके सामने झुके, आपने किसके सामने ‘सरेंडर’ किया। उन्होंने कहा कि पहलगाम हमले की नैतिक जिम्मेदारी केंद्रीय गृह मंत्री को लेनी पड़ेगी, केंद्र सरकार उपराज्यपाल के पीछे नहीं छिप सकती। उन्होंने सवाल किया कि पहलगाम के आतंकियों को किसने पनाह दी, किसने जानकारी दी? पहलगाम के आतंकियों को फरार होने में किसने मदद की? 100 दिन बीत गए, लेकिन सरकार के पास इन सवालों का कोई जवाब नहीं है। सरकार के पास ड्रोन, पेगासस, CRPF, BSF, CISF है, वहां गृहमंत्री कुछ दिन पहले ही गए थे… लेकिन फिर भी आप किसी को पकड़ नहीं पाए।
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उन्होंने साफ तौर पर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विदेश से वापस आए और पहलगाम जाने के बदले चुनावी भाषण देने बिहार चले गए। अगर पहलगाम कोई गया तो वो हमारे नेता राहुल गांधी जी थे। गोगोई ने आरोप लगाया कि भारत के नागरिकों पर सबसे दर्दनाक आतंकी हमले मोदी सरकार में हुए हैं। आपके समय में URI हुआ, पुलवामा हुआ, पहलगाम हुआ। उन्होंने कहा कि सरकार कह रही है- हमारा मकसद युद्ध का नहीं था। हम पूछ रहे हैं- क्यों नहीं था? होना चाहिए था।सरकार कह रही है- हमारा मकसद PoK लेना नहीं था। हम पूछ रहे हैं- क्यों नहीं था? होना चाहिए था। PoK अगर आज नहीं लेंगे, तो कब लेंगे?