Saturday, August 2, 2025
spot_img
Homeराष्ट्रीयभारत की समुद्री ताकत में बड़ा इजाफा, Indian Navy को सौंपा गया...

भारत की समुद्री ताकत में बड़ा इजाफा, Indian Navy को सौंपा गया Himgiri Warship, China-Pakistan के सपने होंगे चकनाचूर

भारत ने अपनी समुद्री शक्ति को और मजबूत करते हुए गुरुवार को स्वदेशी मल्टी-रोल स्टील्थ फ्रिगेट ‘हिमगिरि’ भारतीय नौसेना को सौंप दिया। यह इस महीने नौसेना को दिया गया दूसरा स्टील्थ युद्धपोत है, जो देश की ब्लू-वॉटर (गहरे समुद्र में अभियान चलाने की क्षमता) कॉम्बैट क्षमता को बढ़ाएगा। हम आपको बता दें कि भारतीय नौसेना जिस गति से सशक्त हो रही है, वह न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज़ से महत्वपूर्ण है बल्कि भारत की आत्मनिर्भरता का भी प्रतीक है। ‘हिमगिरि’, ‘उदयगिरि’ और ‘नीलगिरि’ जैसे अत्याधुनिक स्टील्थ फ्रिगेट्स का नौसेना में शामिल होना इसी दिशा में एक बड़ा कदम है। हम आपको बता दें कि आज भारतीय नौसेना के पास न केवल आधुनिक हथियारों और सेंसर से लैस जहाज़ हैं, बल्कि ब्रह्मोस जैसी सुपरसोनिक मिसाइलें भी हैं, जिनकी मारक क्षमता 450 किमी तक बढ़ चुकी है। वायु रक्षा के लिए बराक-8 मिसाइल प्रणाली, मल्टी-मिशन क्षमता वाले जहाज़, और उन्नत पनडुब्बियाँ नौसेना को एक ब्लू-वॉटर नेवी बना रही हैं, जो किसी भी समुद्री क्षेत्र में अभियान चलाने में सक्षम है।
सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि नौसेना के 58 से अधिक जहाज़ और पनडुब्बियाँ भारतीय शिपयार्ड्स में निर्माणाधीन हैं। यह न केवल रक्षा क्षमताओं को मजबूत करता है बल्कि घरेलू रक्षा उद्योग और नौसैनिक डिज़ाइन में भारत की बढ़ती दक्षता का भी प्रमाण है। देखा जाये तो चीन और पाकिस्तान के बढ़ते समुद्री सहयोग तथा हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती उपस्थिति के बीच यह नौसैनिक विस्तार भारत के लिए सामरिक संतुलन बनाए रखने का मजबूत साधन है।
भारतीय नौसेना का यह आधुनिकीकरण केवल हार्डवेयर तक सीमित नहीं है; यह स्वावलंबन, तकनीकी प्रगति और वैश्विक समुद्री शक्ति बनने की दिशा में भारत के आत्मविश्वास का संदेश देता है। आने वाले वर्षों में यह शक्ति न केवल सीमाओं की सुरक्षा में बल्कि समुद्री व्यापार मार्गों और वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं की सुरक्षा में भी निर्णायक भूमिका निभाएगी।

इसे भी पढ़ें: चीन और पाकिस्तान का पक्का इलाज करने के लिए सेना बना रही है रुद्र ब्रिगेड और भैरव बटालियन

जहां तक हिमगिरि की बात है तो आपको बता दें कि 6,670 टन वजनी इस युद्धपोत का निर्माण कोलकाता स्थित गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) द्वारा किया गया है। इससे पहले इसका पूर्ववर्ती ‘उदयगिरि’ एक जुलाई को मुंबई स्थित मझगांव डॉक (MDL) द्वारा नौसेना को सौंपा गया था। दोनों युद्धपोतों को अगस्त के अंत तक एक साथ कमीशन करने की योजना है।
149 मीटर लंबा ‘हिमगिरि’ प्रोजेक्ट-17A के तहत बनाए जा रहे सात फ्रिगेट्स में तीसरा है। इन सातों में चार फ्रिगेट्स का निर्माण मुंबई स्थित मझगांव डॉक और तीन का निर्माण कोलकाता के GRSE शिपयार्ड में किया जा रहा है। इस परियोजना की कुल लागत 45,000 करोड़ रुपये है। हम आपको बता दें कि जनवरी में पहला फ्रिगेट INS नीलगिरि कमीशन किया जा चुका है, जबकि बाकी चार को 2026 के अंत तक नौसेना को सौंपा जाएगा।
ये मल्टी-मिशन फ्रिगेट्स अत्याधुनिक हथियारों और सेंसर से सुसज्जित हैं। इनमें प्रमुख है ब्रहमोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, जिसकी मारक क्षमता अब 290 किमी से बढ़ाकर 450 किमी कर दी गई है। वायु रक्षा के लिए इन फ्रिगेट्स को इस्राइली मूल की बराक-8 सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली से लैस किया गया है, जो लड़ाकू विमान, हेलिकॉप्टर, ड्रोन और क्रूज मिसाइलों को 70 किमी की दूरी से मार गिराने में सक्षम है।
नौसेना अधिकारियों के अनुसार, “ये फ्रिगेट्स नौसैनिक डिज़ाइन, स्टील्थ तकनीक, मारक क्षमता, स्वचालन और सर्वाइवेबिलिटी में एक क्वांटम लीप का प्रतीक हैं और युद्धपोत निर्माण में आत्मनिर्भरता का शानदार उदाहरण प्रस्तुत करते हैं।”
हम आपको बता दें कि वर्तमान में भारतीय नौसेना के पास 140 युद्धपोत हैं। इनमें से 58 जहाज और पोत भारतीय शिपयार्ड्स में निर्माणाधीन हैं, जिन पर 1.2 लाख करोड़ रुपये से अधिक की लागत आएगी। इसके अलावा 31 और युद्धपोत योजना चरण में हैं। यह नौसैनिक विस्तार इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि पाकिस्तान और चीन के बीच समुद्री सहयोग लगातार गहराता जा रहा है। चीन के पास पहले से ही 370 युद्धपोतों वाली विश्व की सबसे बड़ी नौसेना है और वह हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी रणनीतिक पैठ को लगातार बढ़ा रहा है।
देखा जाये तो ‘हिमगिरि’ और ‘उदयगिरि’ जैसे उन्नत स्टील्थ फ्रिगेट्स भारत को न केवल हिंद महासागर क्षेत्र में सामरिक बढ़त देंगे, बल्कि चीन-पाकिस्तान के बढ़ते समुद्री गठजोड़ के बीच सुरक्षा संतुलन भी स्थापित करेंगे। ये युद्धपोत भारत की गहरे समुद्र में शक्ति-प्रदर्शन की क्षमता को मजबूत करेंगे, जिससे न केवल व्यापारिक समुद्री मार्ग सुरक्षित होंगे, बल्कि संभावित आक्रामकता को भी रोका जा सकेगा।
बहरहाल, ‘हिमगिरि’ का नौसेना में शामिल होना भारतीय नौसैनिक शक्ति को एक नई ऊंचाई पर ले जाने वाला कदम है। यह न केवल भारत की आत्मनिर्भरता का प्रतीक है, बल्कि हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की रणनीतिक स्थिति को और भी सशक्त बनाएगा।
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments