प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को कहा कि भारत नेपाल के लोगों की शांति, प्रगति और समृद्धि के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने अपनी नई नेपाली समकक्ष सुशीला कार्की को शुभकामनाएं भी दीं। भारत सरकार ने इससे पहले नेपाल में पूर्व मुख्य न्यायाधीश कार्की के नेतृत्व में अंतरिम सरकार के गठन का स्वागत किया था और आशा व्यक्त की थी कि इससे पड़ोसी देश में शांति और स्थिरता आएगी। भ्रष्टाचार विरोधी कार्यकर्ता कार्की नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री हैं। उन्हें छात्र समूहों द्वारा चुने जाने के बाद राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई गई, जिनके विरोध प्रदर्शनों के कारण इस हफ़्ते पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफ़ा देना पड़ा था।
इसे भी पढ़ें: नेपाल के Gen-Z के साथ फिर बड़ा धोखा हो गया क्या?
राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने 73 वर्षीय कार्की को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई। राष्ट्रपति पौडेल ने कहा कि नयी कार्यवाहक सरकार को छह महीने के भीतर नए संसदीय चुनाव कराने का दायित्व सौंपा गया है। नयी प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में नेपाल के प्रधान न्यायाधीश, वरिष्ठ सरकारी अधिकारी, सुरक्षा प्रमुख और राजनयिक समुदाय के सदस्य शामिल हुए। इससे पहले दिन में, राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल, नेपाल के शीर्ष सैन्य अधिकारियों और ‘जेन जेड’ के प्रतिनिधियों के बीच हुई बैठक के बाद कार्की को अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने के लिए चुना गया। सूत्रों ने बताया कि अपने मंत्रिमंडल की पहली बैठक में कार्की विभिन्न हितधारकों के बीच बनी सहमति के अनुसार राष्ट्रपति को संसद भंग करने की सिफारिश कर सकती हैं।
इसे भी पढ़ें: मोदी ने सुशीला कार्की को नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने पर बधाई दी
राष्ट्रपति पौडेल ने कार्यवाहक प्रधानमंत्री नियुक्त करने का फैसला करने से पहले प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं, कानूनी विशेषज्ञों और नागरिक संस्थाओं के सम्मानित व्यक्तियों से भी अलग-अलग विचार-विमर्श किया। वर्ष 1997 से लेकर 2012 तक के बीच जन्में युवाओं को आम तौर पर ‘जेन जेड’ पीढ़ी के नाम से जाना जाता है। प्रदर्शनकारियों की प्रमुख मांगों में भ्रष्टाचार पर अंकुश, पक्षपात को समाप्त करना और सोशल मीडिया साइटों पर प्रतिबंध हटाना शामिल था। इससे पहले शुक्रवार को नेपाल की प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष देवराज घिमिरे और ऊपरी सदन ‘राष्ट्रीय सभा’ के अध्यक्ष नारायण दाहाल ने शुक्रवार को आह्वान किया कि मौजूदा राजनीतिक गतिरोध को संविधान के दायरे में रह कर सुलझाया जाना चाहिए।