इस बात की चर्चा तेज हो चली है कि क्या भारत और अमेरिका के रिश्तों में दरार गहराती जा रही है। पहले तो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया और अब यूरोपीय देशों को भी भारत के खिलाफ खड़ा होने का ऑर्डर दे रहे हैं। ट्रंप का आरोप है कि भारत रूस से सस्ता तेल खरीदता है और रूस की इकोनॉमी को सपोर्ट करता है। उनका कहना है कि यही पैसा रूस-यूक्रेन युद्ध में झोंका जा रहा है। ट्रंप अब अमेरिका तक सीमित नहीं रहना चाहते हैं। उन्होंने साफ संदेश यूरोपीय देशों को दिया। उनका कहना है कि ईयू देश भी भारत पर दबाव डाले और भारत से तेल खरीदना बंद करे। वैसे देखा जाए तो यूरोपियन दिखावे में ट्रंप का साथ दे रहे हैं, लेकिन पीछे में रूस से एनर्जी डील भी कर रहे हैं। अमेरिका इससे नाराज है। व्हाइट हाउस को लगता है कि यूरोप का रवैया इस युद्ध को लंबा खींच रहा है। इसलिए अब अमेरिका चाहता है कि यूरोप भी भारत पर टैरिफ व प्रतिबंध लगाए।
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लेकिन इन सब के बीच यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष के साथ एक बड़ी घटना घट गई है। कहा जा रहा है कि इस घटना में भारत के पक्के दोस्त रूस का हाथ है। यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन को ले जा रहे विमान को बुल्गारियाई हवाई क्षेत्र में जीपीएस जाम करके निशाना बनाया गया। कहा जा रहा है कि इस घटना में रूस का हाथ है। रूस और बेलारूस की सीमा से लगे यूरोपीय संघ के देशों की वॉन डेर लेयेन की यात्रा के तहत प्लोवदिव हवाई अड्डे के लिए रवाना हुए विमान का जीपीएस सिग्नल हवाई अड्डे के पास पहुँचते ही टूट गया। हालाँकि, उनका विमान सुरक्षित उतर गया।
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पोडेस्टा ने कहा कि हम निश्चित रूप से पुष्टि कर सकते हैं कि जीपीएस जाम हो गया था। हमें बल्गेरियाई अधिकारियों से जानकारी मिली है कि उन्हें संदेह है कि यह रूस के स्पष्ट हस्तक्षेप के कारण हुआ था। पोडेस्टा ने कहा कि यह घटना वास्तव में उस मिशन की तात्कालिकता को रेखांकित करती है जिसे राष्ट्रपति अग्रिम पंक्ति के सदस्य देशों में चला रहे हैं।” उन्होंने आगे कहा कि वॉन डेर लेयेन ने “रूस और उसके सहयोगियों से आने वाले खतरों की रोजमर्रा की चुनौतियों को प्रत्यक्ष रूप से देखा है।