एक स्थानीय अदालत ने चीनी महिला को आठ साल की जेल और 50,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई, जिसे दो साल पहले बौद्ध भिक्षु के वेश में भारत में कथित तौर पर घुसने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। मामला 2 दिसंबर, 2023 का है, जब सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) की 42वीं बटालियन के जवानों ने भारत-नेपाल सीमा पर स्थित रुपईडीहा सीमा चौकी पर उसे रोका था। जाँचकर्ताओं के अनुसार, जब महिला को जाँच के लिए रोका गया, तो वह साधुओं के वस्त्र पहनकर नेपाल में प्रवेश करने की कोशिश कर रही थी। 45 वर्षीय महिला का नाम ली शिनमेई (जिसे ली शिन मेई के नाम से भी जाना जाता है) है। उसके पास चीन गणराज्य का पासपोर्ट था, जिस पर उसका पता शांदोंग प्रांत लिखा था। उसके पासपोर्ट में 19 नवंबर, 2023 से 16 फ़रवरी, 2024 तक वैध नेपाली वीज़ा था। अधिकारियों ने पुष्टि की कि वह बिना वैध दस्तावेज़ों के भारत में प्रवेश कर गई थी।
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विदेशी दस्तावेज़ और सामान ज़ब्त
अधिकारियों के अनुसार, चूँकि ली हिंदी या अंग्रेज़ी नहीं समझती थीं, इसलिए उनसे एक दुभाषिए की मदद से पूछताछ की गई। सुरक्षाकर्मियों ने कई विदेशी दस्तावेज़, उनका पासपोर्ट, एक चीनी नागरिकता कार्ड, कई एटीएम कार्ड, एक मोबाइल फ़ोन, ईयरफ़ोन, एक मसाजर, एक स्मृति पुस्तिका और चीनी भाषा में लिखा एक धार्मिक ग्रंथ बरामद किया। इसके बाद, रुपईडीहा पुलिस स्टेशन में विदेशी अधिनियम की धारा 14A के तहत उन पर मामला दर्ज किया गया और बाद में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। इस मामले में आरोप पत्र दिसंबर 2023 में दायर किया गया था।
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अदालत का फैसला और सज़ा
अपना फ़ैसला सुनाते हुए, अतिरिक्त ज़िला एवं सत्र न्यायाधीश कविता निगम ने ली को बिना वैध वीज़ा के भारत में अवैध रूप से घुसपैठ करने का दोषी पाया। उन्हें आठ साल के कठोर कारावास और 50,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई गई। अदालत ने यह भी कहा कि जुर्माना न भरने पर उन्हें छह महीने की अतिरिक्त कैद की सज़ा होगी।

