Monday, March 17, 2025
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मणिपुर को जलाने और मुसलमानों व ईसाइयों को भड़काने में भी पन्नू का हाथ था: एजेंसी नोट में दावा

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गुरपतवंत सिंह पन्नू: दिल्ली उच्च न्यायालय के एक न्यायाधिकरण ने खालिस्तानी आतंकवादी संगठन सिख फॉर जस्टिस पर 5 साल का प्रतिबंध लगाने को मंजूरी दे दी है। यह प्रतिबंध गृह मंत्रालय द्वारा जुलाई 2020 में लगाया गया था। इसके अलावा संगठन के नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू को भी आतंकवादी घोषित किया गया। अब इस प्रतिबंध को अगले पांच वर्षों के लिए बढ़ा दिया गया है।

सिख फॉर जस्टिस पर मणिपुर के लोगों को भड़काने का आरोप है। 

न्यायाधिकरण के समक्ष सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कुछ तथ्य भी प्रस्तुत किए, जिनमें यह भी कहा गया कि सिख फॉर जस्टिस ने मणिपुर में ईसाई समुदाय के लोगों को भारत से अलग होने के लिए उकसाया था। केंद्र सरकार ने कहा कि सिख फॉर जस्टिस ने पंजाब के लिए खालिस्तान के रूप में एक अलग देश के निर्माण की वकालत की थी, जबकि मणिपुर के मुसलमानों, तमिलों और ईसाइयों को देश से अलग होने के लिए उकसाया था।

सिख फॉर जस्टिस ने अपना भारत विरोधी एजेंडा बढ़ा दिया है

इसके अलावा आरोप यह भी है कि सिख फॉर जस्टिस ने पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को भी धमकी दी थी। सरकार द्वारा गजट अधिसूचना के रूप में जारी न्यायाधिकरण के आदेश में यह जानकारी दी गई है। खुफिया एजेंसी द्वारा तैयार नोट में कहा गया है कि सिख फॉर जस्टिस ने अपना भारत विरोधी एजेंडा बढ़ा दिया है और देश के खिलाफ हिंसा फैलाने की कोशिश की है। 

 

इस संगठन का देश को बांटने का प्रयास 

इस संगठन ने पंजाब के लोगों को भड़काने के अलावा मुसलमानों और ईसाइयों के बारे में भी विवादित बयान दिए हैं। साथ ही तमिलों को द्रविड़ धर्म की मांग के लिए उकसाया। इसके अलावा संगठन ने मुसलमानों के लिए उर्दूस्तान में जगह की भी मांग की। इस तरह अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के झूठे प्रचार के नाम पर उन्होंने देश को बांटने की बात कही है।

मणिपुर को आग में झोंकने में पन्नू का भी हाथ था।

इतना ही नहीं इस संगठन ने दलितों को भी भड़काया है और कहा है कि भारत सरकार उनके खिलाफ अत्याचार कर रही है। इसलिए आपको अलग देश की मांग का समर्थन करना चाहिए। केंद्र सरकार का कहना है कि इस संगठन ने पंजाब और हरियाणा में भी किसानों को कृषि बिल के खिलाफ भड़काने की कोशिश की थी। उन्होंने मणिपुर में भी हिंसा फैलाने की कोशिश की है। इस संगठन ने कुकी समुदाय के लोगों को भड़काया, जिनमें से अधिकांश ईसाई हैं। इसके अलावा मैतेई समुदाय के लोग जो मुसलमान हैं, उन्हें भी भड़काया गया।

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