कार्यकर्ता मनोज जरांगे के नेतृत्व में जारी आरक्षण आंदोलन के तीसरे दिन रविवार को महाराष्ट्र के मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने संकेत दिया कि अगर मराठा आरक्षण का मुद्दा सुलझने की संभावना हुई तो मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस हस्तक्षेप कर सकते हैं।
जरांगे मराठा समुदाय के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर शुक्रवार से दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में भूख हड़ताल पर हैं। वह चाहते हैं कि मराठों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में शामिल कृषक जाति कुनबी के रूप में मान्यता दी जाए ताकि उन्हें सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण मिल सके, हालांकि ओबीसी नेता इसका विरोध कर रहे हैं।
जरांगे ने आरक्षण की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए गठित एक समिति के अध्यक्ष उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश संदीप शिंदे को बातचीत के लिए भेजने को लेकर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की आलोचना की।
आंदोलन जारी रखने का संकल्प व्यक्त करते हुए जरांगे ने कहा, “मराठों को आरक्षण देने की घोषणा करने वाला शासन आदेश (जीआर) जारी करना न्यायमूर्ति शिंदे का काम नहीं है।”
मंत्री पाटिल ने इस मुद्दे पर सोलापुर में पत्रकारों से बात करते हुए कहा, “मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस कभी कठोर रुख नहीं अपनाते। लेकिन कुछ संवैधानिक सीमाएं हैं। आम तौर पर, प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री से मिलने आते हैं, न कि मुख्यमंत्री खुद। हालांकि उनका रुख लचीला है और वह खुद भी जा सकते हैं। लेकिन इससे समाधान निकलने की संभावना होनी चाहिए।