Thursday, February 6, 2025
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महाराष्ट्र में महायुति सरकार: शिवसेना और भाजपा के बीच बढ़ते टकराव की आहट

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महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस की अगुवाई में महायुति की सरकार बनने के बावजूद, शिवसेना और भाजपा नेताओं के बयानों से टकराव की अटकलें तेज हो गई हैं। भाजपा नेता और महाराष्ट्र के मंत्री गणेश नाइक का कहना है कि वे ठाणे में भाजपा को मजबूत करना चाहते हैं, जो कि ठाणे शिवसेना प्रमुख और डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे का गढ़ माना जाता है। उनके इस बयान से संकेत मिलता है कि महायुति गठबंधन के सहयोगियों के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है।

गणेश नाइक के बयान

पालघर जिले के संरक्षक मंत्री नाइक ने मंगलवार को एक कार्यक्रम में कहा कि वे ठाणे में जनता दरबार आयोजित करेंगे, जिससे यह अटकलें और भी तेज हो गई हैं कि भाजपा ठाणे में शिंदे की शिवसेना की पकड़ को चुनौती देने की तैयारी कर रही है। नाइक ने कहा, “भाजपा ठाणे पर ध्यान केंद्रित कर रही है। हम चाहते हैं कि केवल ‘कमल’ (भाजपा का चुनाव चिह्न) ही ठाणे में फूले-फले। पार्टी ने मुझे ठाणे की जिम्मेदारी सौंपी है।”

नाइक और शिंदे का राजनीतिक इतिहास

गणेश नाइक और एकनाथ शिंदे दोनों ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत शिवसेना से की थी, लेकिन बाद में नाइक ने शरद पवार के नेतृत्व वाली राकांपा (NCP) में शामिल होने का फैसला किया। वहीं, शिंदे ने 2022 में शिवसेना में विभाजन कर उद्धव ठाकरे के नेतृत्व को चुनौती दी थी।

शिवसेना की प्रतिक्रिया

शिंदे गुट की शिवसेना पहले ही संरक्षक मंत्री पदों के बंटवारे से नाराज चल रही है। ऐसे में नाइक के ठाणे पर ध्यान केंद्रित करने से भाजपा और शिवसेना के बीच मतभेद और गहरा हो सकता है। शिवसेना मंत्री शंभुराज देसाई ने नाइक के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ठाणे हमेशा से शिवसेना का गढ़ रहा है और भाजपा के नेताओं को अपनी पार्टी को बढ़ाने का अधिकार है, लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि शिवसेना ने इस जिले पर अपनी ऐतिहासिक पकड़ बनाए रखी है।

भाजपा का समर्थन

वहीं, महाराष्ट्र भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने भी गणेश नाइक का समर्थन किया और कहा कि शिवसेना नेताओं को भी जनता की समस्याओं को हल करने के लिए जनता दरबार आयोजित करने चाहिए। उन्होंने महायुति गठबंधन के सभी मंत्रियों को जनता से जुड़ने की आवश्यकता पर जोर दिया।

इस प्रकार, महाराष्ट्र में महायुति सरकार के भीतर बढ़ते तनाव और टकराव की संभावनाएं राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बनी हुई हैं।

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