हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है, जो मां दुर्गा को समर्पित पर्व है। साल में चार बार नवरात्रि का आयोजन होता है, जिनमें से दो गुप्त और दो प्रत्यक्ष नवरात्रि होती हैं। गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं की पूजा का विधान है, जबकि प्रत्यक्ष नवरात्रि में मां दुर्गा के 10 स्वरूपों की पूजा की जाती है। इस वर्ष माघ गुप्त नवरात्रि 30 जनवरी से प्रारंभ हो रही हैं।
माघ गुप्त नवरात्रि कब से कब तक?
हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से माघ गुप्त नवरात्रि का आरंभ होता है और नवमी को इनका समापन होता है। इस साल गुप्त नवरात्रि 30 जनवरी 2025 से प्रारंभ होंगी और 7 फरवरी 2025 को समाप्त होगी।
गुप्त नवरात्रि में किन महाविद्याओं की पूजा?
गुप्त नवरात्रि के दौरान 10 महाविद्याओं की पूजा की जाती है, जिनमें शामिल हैं:
- मां काली
- तारा देवी
- त्रिपुर सुंदरी
- भुवनेश्वरी
- माता छिन्नमस्ता
- त्रिपुर भैरवी
- मां धूमावती
- माता बगलामुखी
- मातंगी
- कमला देवी
घटस्थापना मुहूर्त:
- प्रतिपदा तिथि: 29 जनवरी 2025 को शाम 06:05 बजे से 30 जनवरी 2025 को शाम 04:10 बजे तक।
- घटस्थापना मुहूर्त: सुबह 09:25 से 10:46 बजे तक।
- अभिजित मुहूर्त: दोपहर 12:13 से 12:56 बजे तक।
- मीन लग्न: 30 जनवरी 2025 को सुबह 09:25 से 10:50 बजे तक।
पूजा विधि:
- स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- मां दुर्गा की प्रतिमा या फोटो स्थापित करें और उन्हें चुनरी अर्पित करें।
- पूजा सामग्री अर्पित करें।
- आरती उतारें और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
- गुप्त नवरात्रि व्रत करें और अंत में कन्या पूजन करें।
पूजन सामग्री:
- मां दुर्गा की प्रतिमा या फोटो
- सिंदूर, कुमकुम
- धूप, दीप
- चूड़ियां, नारियल
- पंचमेवा, जौ
- फल, फूल, घी, हवन सामग्री आदि।
गुप्त नवरात्रि मंत्र:
- ॐ दुं दुर्गायै नमः।
- सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।
गुप्त नवरात्रि का महत्व:
गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की उपासना गुप्त रूप से की जाती है, जिससे शक्ति और तंत्र विद्या की सिद्धि मिलती है। मान्यता है कि इस दौरान साधना का फल शीघ्र प्राप्त होता है और जातक की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
इस प्रकार, माघ गुप्त नवरात्रि एक विशेष अवसर है मां दुर्गा की कृपा प्राप्त करने और व्यक्तिगत विकास के लिए।