उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में धारचूला-लिपुलेख मार्ग पर मानसून में भूस्खलन की आशंका को देखते हुए प्रशासन ने जोलिंगकोंग में स्थित आदि कैलाश मंदिर पहुंचने के लिए जरूरी ‘इनरलाइन परमिट’ जारी करने का काम रोक दिया है। जिला प्रशासन ने यह जानकारी दी।
पिथौरागढ़ के जिलाधिकारी विनोद गोस्वामी ने बुधवार को कहा, ‘‘यात्रा के गुंजी शिविर तक पहुंचने वाली सड़क भूस्खलन के कारण अक्सर बंद हो जाती है। ऐसी आशंका के चलते ‘इनरलाइन परमिट’ जारी करने का काम मंगलवार से रोक दिया गया है।’’
उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया गया है।
गोस्वामी ने कहा कि मानसून समाप्त होने पर 15 सितंबर के बाद ‘परमिट’ जारी करने का काम फिर शुरू कर दिया जाएगा।
धारचूला के उपजिलाधिकारी जीतेंद्र वर्मा ने बताया कि इस साल 30 मई को आदि कैलाश यात्रा शुरू होने के बाद देश भर से 23532 श्रद्धालु तीर्थयात्रा कर चुके हैं।
इस बीच, आदि कैलाश मंदिर में 40 फीट ऊंचा एक त्रिशूल, 1200 किलो वजनी शिवलिंग और नंदी की एक प्रतिमा स्थापित की गयी है।
आदि कैलाश मंदिर के मुख्य पुजारी गोपाल सिह कुटियाल ने बताया कि त्रिशूल, शिवलिंग और नंदी महाराज की प्रतिमा की स्थापना आदि कैलाश विकास समिति ने की है।
कुटियाल ने कहा,‘‘ विकास समिति के अधिकारियों के नेतृत्व में कुटी गांव के ग्रामीणों ने हर-हर महादेव के जयकारों के बीच इस त्रिशूल, शिवलिंग और नंदी की प्रतिमा को मंदिर परिसर में स्थापित किया। इसके बाद रंग समुदाय के रीति-रिवाजों के अनुसार वहां पूजा अर्चना की गयी।’’
उन्होंने बताया कि इन तीनों पवित्र वस्तुओं की स्थापना में 12 कुमांउ रेजीमेंट ने भी मदद की।
कुटियाल ने कहा कि इस स्थापना से भगवान शिव के इस प्राचीन धार्मिक स्थल का आकर्षण और बढ़ गया है।