इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने संभल में शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के लिए निचली अदालत द्वारा जारी आदेश को बरकरार रखा। मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी गई। अदालत ने निचली अदालत के आदेश में कोई मुद्दा नहीं पाया। गाजियाबाद में अधिवक्ता हरि शंकर जैन ने कहा कि कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की दलील को खारिज कर दिया और कहा कि सर्वे सही था। जो भी सर्वे हुआ था, उसे पढ़कर रिकॉर्ड का हिस्सा बनाया जाएगा। अगर वे (मुस्लिम पक्ष) सुप्रीम कोर्ट जाते हैं तो हम उनका स्वागत करने के लिए तैयार हैं।
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न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की अध्यक्षता वाली एकल पीठ ने मुस्लिम पक्ष की दलीलों को खारिज करते हुए फैसला सुनाया। 13 मई को मस्जिद समिति की सिविल पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई पूरी करने के बाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इससे पहले, संभल मस्जिद प्रबंधन समिति ने जिला न्यायालय संभल में लंबित मूल मुकदमे में चल रही निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग करते हुए एक सिविल पुनरीक्षण याचिका दायर की थी।
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हिंदू पक्ष के वकील एडवोकेट गोपाल शर्मा ने कहा था कि फैसले में यह बताया जाएगा कि सिविल जज सीनियर डिवीजन संभल को सर्वेक्षण का आदेश देने का अधिकार है या नहीं। शर्मा ने कहा, “19 नवंबर 2024 को हमने याचिका दायर की थी। कोर्ट ने सर्वे का आदेश दिया था। सर्वे दो हिस्सों में हुआ था। जामा मस्जिद का पक्ष सर्वे के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गया… सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें हाईकोर्ट जाने को कहा।” इससे पहले, 29 अप्रैल को सर्वोच्च न्यायालय ने शाही जामा मस्जिद, संभल की प्रबंधन समिति को उत्तर प्रदेश प्राधिकारियों की स्थिति रिपोर्ट पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया था, जिसमें कहा गया था कि विवादित कुआं मस्जिद के बाहर स्थित है।