प्रसिद्ध हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र का गुरुवार (2 अक्टूबर) सुबह लगभग 4:00 बजे उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। 89 वर्षीय मिश्र पिछले कई महीनों से चिकित्सा देखभाल में थे। उनकी बेटी नम्रता मिश्रा ने मीडिया को फ़ोन पर उनके निधन की खबर की पुष्टि की। पंडित मिश्र का पार्थिव शरीर दोपहर बाद मिर्ज़ापुर से वाराणसी लाया जाएगा। उनका अंतिम संस्कार आज रात मणिकर्णिका घाट पर होगा, जो इस पवित्र नगरी के सबसे पवित्र दाह स्थलों में से एक है।
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पद्म विभूषण से सम्मानित गायक छन्नूलाल मिश्रा को हृदय संबंधी समस्या के बाद बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) से संबद्ध सर सुंदरलाल अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था, जहां उनका हीमोग्लोबिन की कमी और बिस्तर पर पड़े घावों का इलाज किया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महान शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्हें भारतीय कला और संस्कृति के आजीवन उपासक के रूप में याद करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि मिश्र जी ने न केवल शास्त्रीय संगीत को आम जनता के करीब लाया, बल्कि वैश्विक मंच पर भारतीय परंपराओं को प्रदर्शित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
मोदी ने उस्ताद के साथ अपने व्यक्तिगत जुड़ाव को याद करते हुए कहा कि पंडित मिश्र ने वर्षों तक उन्हें स्नेहपूर्वक आशीर्वाद दिया और 2014 में वाराणसी सीट से उनके प्रस्तावक भी रहे। उन्होंने मिश्र जी के परिवार और प्रशंसकों के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त करते हुए उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। ॐ शांति। यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारतीय शास्त्रीय संगीत के मर्मज्ञ, ‘पद्म विभूषण’ प्रख्यात शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र जी का निधन अत्यंत दुःखद एवं शास्त्रीय संगीत विधा की अपूरणीय क्षति है। उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि!
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उन्होंने कहा कि आपने अपना पूरा जीवन भारतीय शास्त्रीय गीत-संगीत के उत्थान में समर्पित कर दिया। आपका गायन कला साधकों के लिए एक प्रेरणा है। प्रभु श्री राम से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को सद्गति व उनके शोकाकुल परिजनों, अनुयायियों एवं प्रशंसकों को यह अथाह दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें। ॐ शांति! पंडित छन्नूलाल मिश्र को हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के महानतम प्रतिपादकों में से एक और बनारस घराना परंपरा के संरक्षक के रूप में व्यापक रूप से जाना जाता था। ख्याल, ठुमरी और भजनों की अपनी भावपूर्ण प्रस्तुतियों के लिए प्रसिद्ध, मिश्र की कला ने भारतीय सांस्कृतिक विरासत की समृद्धि को पीढ़ियों तक आगे बढ़ाया। उनके प्रदर्शनों ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों ही श्रोताओं पर अमिट छाप छोड़ी।