केरल के वडकारा से सांसद शफी परमबिल ने युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पद से राहुल ममकूटाथिल के इस्तीफे को ‘राजनीतिक जवाबदेही का महत्वपूर्ण कदम’ बताया है। ममकूटाथिल ने यौन दुराचार के आरोपों के बाद शनिवार, 23 अगस्त को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
परमबिल ने कोझिकोड में मीडिया से बातचीत में कहा कि ममकूटाथिल के खिलाफ कोई औपचारिक शिकायत या एफआईआर दर्ज होने से पहले ही उन्होंने पद छोड़ दिया था। सांसद ने इसे कांग्रेस पार्टी का नैतिक रुख बताया और कहा कि पार्टी ने तुरंत इस्तीफा स्वीकार कर लिया।
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माकपा और भाजपा पर साधा निशाना
शफी परमबिल ने इस मामले को लेकर माकपा और भाजपा पर निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि जब उनके नेताओं पर इसी तरह के आरोप लगे थे, तो उन्होंने अपने नेताओं को बचाया था। परमबिल ने कहा, ‘अगर किसी माकपा नेता ने इस तरह इस्तीफा दिया होता, तो नैतिकता बनाए रखने के लिए उनकी प्रशंसा की जाती। लेकिन ममकूटाथिल के मामले में, उनके इस्तीफा देने के बाद भी, कांग्रेस को आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।’
परमबिल ने माकपा पर इस विवाद का इस्तेमाल अपनी सरकार की विफलताओं से लोगों का ध्यान भटकाने का आरोप लगाया। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि कुछ मीडिया संस्थान ‘इस एजेंडे को क्यों आगे बढ़ा रहे हैं।’ उन्होंने माकपा की इस मांग को खारिज कर दिया कि ममकूटाथिल को विधायक पद से भी इस्तीफा देना चाहिए। उन्होंने इसे ‘पाखंड’ करार दिया और कहा कि जिस पार्टी ने चार्जशीट दाखिल होने के बाद भी अपने विधायक को पद पर बने रहने दिया, वह ऐसी मांग कैसे कर सकती है? उन्होंने भाजपा पर भी पोक्सो आरोपी को संसदीय बोर्ड में पदोन्नत करने का आरोप लगाते हुए उसकी आलोचना की।
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शफी परमबिल ने खुद पर लगे आरोपों को भी नकारा
ममकूटाथिल पर अनुचित व्यवहार का आरोप लगाने वाली लेखक हनी भास्करन ने उनके पास शिकायत नहीं लाई थी, परमबिल ने यह भी स्पष्ट किया। उन्होंने खुद के विवाद के बाद बिहार ‘भाग जाने’ के आरोपों को भी निराधार बताया। परमबिल ने कहा, ‘मैं एक महत्वपूर्ण संघर्ष के तहत बिहार गया था। मैं विरोध प्रदर्शनों या मीडिया से नहीं भागता।’ उन्होंने यह भी बताया कि राहुल गांधी की यात्रा में शामिल होने का फैसला बहुत पहले ही ले लिया गया था, और यह आरोपों के कारण नहीं था।