दोनों देशों के बीच भारी गोलाबारी जारी रहने के बीच थाईलैंड ने कंबोडिया की सीमा से लगे आठ जिलों में मार्शल लॉ घोषित कर दिया। चंथाबुरी और ट्राट प्रांतों में सेना की सीमा रक्षा कमान के कमांडर अपिचार्ट सैप्रासर्ट ने एक बयान में कहा कि चंथाबुरी के सात जिलों और ट्राट के एक जिले में अब मार्शल लॉ लागू है। सैन्य सीमा कमांडर ने कहा कि यह निर्णय थाई क्षेत्र में प्रवेश करने के लिए कंबोडिया द्वारा बल प्रयोग के कारण लिया गया। यह घटनाक्रम थाई अधिकारियों द्वारा यह कहे जाने के कुछ ही घंटों बाद सामने आया है कि उनका देश कंबोडिया के साथ सीमा विवाद को सुलझाने के लिए तीसरे पक्ष की मध्यस्थता के बजाय द्विपक्षीय वार्ता का पक्षधर है। हालांकि, थाईलैंड ने कंबोडिया को चेतावनी दी है कि उसका संघर्ष संभावित रूप से युद्ध में बदल सकता है। कार्यवाहक प्रधानमंत्री फुमथम वेचायाचाई ने कहा कि बैंकॉक अपने क्षेत्र और संप्रभुता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
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थाईलैंड और कंबोडिया सीमा विवाद अचानक खतरनाक मोड़ पर पहुंच गया, जब 23 जुलाई को सीमा पर तैनात एक थाई सैनिक विस्फोट में घायल हो गया। यह विस्फोट वहां हुआ, जहां दोनों देशों की सेनाएं मई से आमने-सामने तैनात थीं। थाईलैंड ने इसका आरोप कंबोडिया पर लगाया और इसे पूर्व नियोजित उकसावा करार दिया। गुरुवार को थाई अधिकारियों ने दावा किया कि कंबोडियाई सेना ने थाईलैंड के 4 सीमावर्ती प्रांतों (सुरिन, सिसाकेत, बुरीराम और उदोन थानी) में रॉकेट दागे। इस हमले में 11 थाई नागरिक और एक सैनिक की मौत हो गई। जवाब में थाई वायुसेना के एफ-16 लड़ाकू विमानों ने कंबोडिया पर हमले किए।
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थाईलैंड के गांवों से आए वीडियो में दिखा कि नागरिक अपने घरों को छोड़कर बंकरों में शरण ले रहे हैं। हमले के बाद दोनों देशों के बीच संबंध बेहद खराब हो गए। थाईलैंड ने कंबोडियाई राजदूत को निष्कासित कर दिया और सभी बॉर्डर चेकपॉइंट बंद कर दिए। कंबोडिया ने भी बैंकॉक स्थित अपने दूतावास को खाली कर दिया। इस पूरे विवाद की वजह डंगरेक पहाड़ियों में स्थित 900 साल पुराना शिव मंदिर (प्रासात ता मुएन थोम) है। दोनों देश इस पर अपना हक जताते हैं। मंदिर भले थाईलैंड के वर्तमान नक्शे में आता हो, लेकिन कंबोडिया इसे अपनी धरोहर मानता है।