रिंकू हुड्डा ने विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप के तीसरे दिन सोमवार को पुरुषों की भाला फेंक एफ46 स्पर्धा में विश्व रिकॉर्डधारी हमवतन सुंदर सिंह गुर्जर को पछाड़ कर स्वर्ण पदक जीता।
गुर्जर को रजत पदक से संतोष करना पड़ा।
रिंकू ने 66.37 मीटर भाला फेंककर अपना पहला विश्व चैंपियनशिप खिताब जीता जबकि गुर्जर ने 64.76 मीटर भाला फेंककर दूसरा स्थान हासिल किया।
इस स्पर्धा में शामिल एक अन्य भारतीय अजीत सिंह 61.77 मीटर की दूरी के साथ चौथे स्थान पर रहे। क्यूबा के गिलर्मो वरोना गोंजालेज ने 63.34 मीटर भाला फेंक कर कांस्य पदक अपने नाम किया।
एफ46 श्रेणी उन लोगों के लिए है जिनकी एक या दोनों भुजाओं की गतिविधि मामूली रूप से प्रभावित है या जिनका एक हाथ नहीं हैं। इसके खिलाड़ी खड़े होकर प्रतिस्पर्धा करते हैं।
इस चैंपियनशिप में अब के भारत की पदकों की संख्या पांच (दो स्वर्ण, दो रजत और एक कांस्य पदक) हो गयी हैं।
भारत पदक तालिका में छठे स्थान पर पहुंच गया है, जिसमें चीन (चार स्वर्ण, सात रजत, तीन कांस्य) पहले स्थान पर है। ब्राजील (चार स्वर्ण, सात रजत, दो कांस्य), पोलैंड (चार स्वर्ण, चार कांस्य), स्विट्जरलैंड (तीन स्वर्ण, एक कांस्य) और नीदरलैंड (तीन स्वर्ण) क्रमशः दूसरे, तीसरे, चौथे और पांचवें स्थान पर हैं।
रिंकू ने स्वर्ण पदक जीतने के बाद कहा, ‘‘ यह भारत में मेरी पहली प्रतियोगिता है। मैदान पर मुझे अच्छा लग रहा था। आज मेरा दिन था, इसलिए सब कुछ मेरे पक्ष में था। मैंने जो किया वह मेरे लिए एक नया अनुभव था।’’
हरियाणा के रोहतक के बाहरी इलाके में स्थित धमार गांव के एक किसान परिवार में जन्मे रिंकू का बायां हाथ खेत में खेलते समय धान बोने वाली मशीन में फंस गया था। उन्हें यह घटना याद नहीं है, लेकिन उनके माता-पिता ने उन्हें आठ साल की उम्र में इसके बारे में बताया था।
उन्होंने जकार्ता में 2018 एशियाई पैरा खेलों में कांस्य पदक, 2023 विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में रजत पदक और हांग्झोउ‘ में 2023 एशियाई पैरा खेलों में भी रजत पदक जीता।
इससे पहले दिन के सत्र में तटस्थ पैरालंपिक एथलीट (एनपीए) डेनिस ग्नजडिलोव ने एफ40 गोला फेंक में दो बार विश्व रिकॉर्ड तोड़ने के साथ स्वर्ण पदक जीता।
रूस के 38 वर्षीय इस खिलाड़ी ने अपने शुरुआती प्रयास में 10.66 मीटर की दूरी हासिल की लेकिन इसके बाद के उनके चारों प्रयास स्वर्ण पदक के लिए काफी थे। उन्होंने अपने तीसरे प्रयास में 11.85 मीटर की दूरी के साथ पैरालंपिक स्वर्ण पदक विजेता पुर्तगाल के मिगुएल मोंटेइरो के विश्व रिकॉर्ड को तोड़ा और फिर अपने पांचवें प्रयास में इसमें सुधार करते हुए 11.92 मीटर की दूरी हासिल की।
तोक्यो 2020 पैरालंपिक स्वर्ण पदक विजेता ग्नजडिलोव का यह तीसरा विश्व चैंपियनशिप खिताब है।
यूक्रेन पर हमले के बाद से रूस और बेलारूस पर प्रतिबंध के कारण इन दोनों देशों के खिलाड़ी एनपीए के तहत प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं।
छोटे कद के खिलाड़ियों की इस स्पर्धा में पुर्तगाल के मिगुएल मोंटेइरो (11.31 मीटर) और इराक के गर्राह तनायश (10.86 मीटर) ने कांस्य पदक जीता।
पुरुषों की गोला फेंक एफ53 फाइनल में पोलैंड के बार्टोस्ज गोरजाक ने 8.67 मीटर का थ्रो करके मीट रिकॉर्ड को अपने नाम किया।
महिलाओं के चक्का फेंक एफ44 फाइनल में मैक्सिको की ओसिरिस एनेथ माचाडो ने 44.36मीटर के थ्रो के साथ चैंपियनशिप रिकॉर्ड बनाते हुए स्वर्ण पदक हासिल किया।
फौस्टिना कोटलोव्स्का ने महिलाओं की चक्का फेंक एफ 64 स्पर्धा में पोलैंड को दिन का दूसरा स्वर्ण पदक दिलाया।
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स दौरान चुनौती पेश कर रहे भारतीय खिलाड़ियों में दयावंती ने महिलाओं की चक्का फेंक एफ46 फाइनल में अपने आखिरी प्रयास में 27.94 मीटर का थ्रो करके चौथा स्थान हासिल किया।
इस थ्रो से उन्होंने एशियाई रिकॉर्ड तो बनाया लेकिन वह कांस्य पदक विजेता अमेरिका की एलिसिया ग्युरेरो से 1.51 मीटर पीछे रह गईं।
आयुष वर्मा पुरुषों की गोला फेंक एफ5 फाइनल में पांचवें स्थान पर रहे। उनका सर्वश्रेष्ठ प्रयास 7.23 मीटर का रहा जो कांस्य पदक जीतने वाले खिलाड़ी से 97 सेंटीमीटर कम था।
अनुभवी एथलीट रोंगाली रवि पुरुषों की गोला फेंक एफ40 फाइनल में पदक की दौड़ में शामिल नहीं हो पाए। उनका सत्र का सर्वश्रेष्ठ प्रयास 10.10मीटर रहा, जो पोडियम पर जगह बनाने के लिए जरूरी दूरी से 76 सेंटीमीटर कम था।