अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने चेतावनी दी है कि यदि भारत अमेरिका में उगाए गए मक्के को खरीदने से इनकार करता है तो उसे अमेरिकी बाजार तक पहुंच खोने का खतरा है, जबकि दोनों देशों के बीच व्यापार वार्ता फिर से शुरू होने वाली है। लुटनिक ने एक्सियोस को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा भारत के प्रति नरम रुख का संकेत दिए जाने के बावजूद, यदि भारत टैरिफ में कमी नहीं करता है तो उसे कठिन समय का सामना करना पड़ सकता है।
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हॉवर्ड लुटनिक ने अमेरिकी मक्के के लिए अपना बाज़ार न खोलने पर भारत पर सवाल उठाया है कि भारत शेखी बघारता है कि उनके पास 1.4 अरब लोग हैं। 1.4 अरब लोग एक बुशल अमेरिकी मक्का क्यों नहीं खरीदते? आपको बता दें कि 2024-25 में भारत के कुल 0.97 मिलियन टन (एमटी) मक्के के आयात में से, एक बड़ा हिस्सा म्यांमार (0.53 मिलियन टन) और यूक्रेन (0.39 मिलियन टन) से आया। कुछ मात्रा अमेरिका से भी आयात की गई।
उन्होंने व्यापारिक संबंधों को एकतरफ़ा बताया। लुटनिक ने कहा कि वे हमें बेचते हैं और हमारा फ़ायदा उठाते हैं। वे हमें अपनी अर्थव्यवस्था से अलग रखते हैं, और वे हमें बेचते हैं जबकि हम उनके आने और फ़ायदा उठाने के लिए पूरी तरह खुले हैं। ल्यूटनिक ने यह भी दावा किया कि राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत से कहा है कि “अपने टैरिफ कम करो, हमारे साथ वैसा ही व्यवहार करो जैसा हम तुम्हारे साथ करते हैं।” उन्होंने कहा कि प्रशासन को वर्षों से चली आ रही ग़लतियों को सुधारना है, इसलिए हम चाहते हैं कि जब तक हम इसे ठीक नहीं कर लेते, टैरिफ दूसरी दिशा में हो। ल्यूटनिक ने कहा, “यही राष्ट्रपति का मॉडल है, और या तो आप इसे स्वीकार करें, अन्यथा आपको दुनिया के सबसे बड़े उपभोक्ता के साथ व्यापार करने में मुश्किल होगी।”
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आपको बता दें कि अमेरिका में उत्पादित मक्का बड़े पैमाने पर आनुवंशिक रूप से संशोधित होता है, और भारत ऐसी किस्मों को खाद्य श्रृंखला में प्रवेश करने से रोकने के लिए जीएम मक्का के आयात और स्थानीय खेती दोनों पर प्रतिबंध लगाता है। यहाँ तक कि इथेनॉल उत्पादन के लिए जीएम मक्का उगाने के नीति आयोग के प्रस्ताव को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। चूँकि अमेरिकी मक्का आनुवंशिक रूप से संशोधित है, इसलिए यह दुनिया भर में उपलब्ध सबसे सस्ते मक्का में से एक है और मानव उपभोग और पशु चारे, दोनों के लिए व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।